""" रिश्ते """
बेहद नाजुक से होते हैं ----
ये रिश्ते , फूल अमलताश के
बस , थोड़ी सी प्रीत से भीग जाते हैं
रोम रोम तक -----
और छोटी सी ही बात से
टूट जाते हैं , चकनाचूर होकर ----
इसलिए जरा संभलना ----
और रिश्तों को सम्भालना थोड़े प्यार से ,
रिश्तों में तकरार हो , पर मीठी हो ,
जिससे खिल उठें नवजीवन सा ,
बचना तानों भरे शब्दों से ---
जो तोड़ देते हैं रिश्तों को
सुखी लकड़ी सा -----
हाँ बेहद नाजुक ये रिश्ते
फूल अमलताश के -----!!!!
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