मंगलवार, 12 अप्रैल 2022

मृत्यु


मृत्यु भी एक कविता हैं
जो सच पर न बोले वो मृत
जो अन्याय पर चुप रहें वो मृत
जो जीवन जीवन समझे वो मृत
मृत्यु भी एक कविता हैं
कविता हमेशा चाहती थी सूक्ष्म भाव
हर कोई
निकल न सका
जो निकल न सका वो मृत
जो बिक गया वो मृत
जो भावों का काला वो मृत
जो अपराधी से निकाला वो मृत
मृत्यु एक कविता है
जो हारा वो मृत
जो सहारा वो मृत
जो सहारा वो मृत
जो डरा और डराया वो मृत
मृत्यु एक कविता हैं
जीवन से परे
भावों से परे 
आसमान से परे
संसार से परे
जो चाहो जीवन
तो डरो नहीं
मरो नहीं
विचार अनगढ़ जब आते
ईश्वर कहता
क्योंकि
ऐसा जीवन भी मृत्यु
और
मृत्यु भी एक कविता हैं।