गुरुवार, 9 मार्च 2017

कैसे जीना

*कैसे जीना*

कुछ हँस के
     बोल दिया करो,
कुछ हँस के
      टाल दिया करो,
यूँ तो बहुत
    परेशानियां है
तुमको भी
     मुझको भी,
मगर कुछ फैंसले
     वक्त पे डाल दिया करो,
न जाने कल कोई
    हंसाने वाला मिले न मिले..
इसलिये आज ही
      हसरत निकाल लिया करो !!
समझौता
      करना सीखिए..
क्योंकि थोड़ा सा 
      झुक जाना
किसी रिश्ते को
         हमेशा के लिए
तोड़ देने से
           बहुत बेहतर है ।।।
किसी के साथ
     हँसते-हँसते
उतने ही हक से
      रूठना भी आना चाहिए !
अपनो की आँख का
     पानी धीरे से
पोंछना आना चाहिए !
      रिश्तेदारी और
दोस्ती में
    कैसा मान अपमान ?
बस अपनों के 
     दिल मे रहना
आना चाहिए...!
                                       - गुलज़ार

बुधवार, 8 मार्च 2017

थकी हारी

जब दिन भर की थकी हारी पड़ती हूँ बिस्तर पर
तब थकावट नहीं एक संतुष्टि का भाव उमड़ता है
कि चलो आज का दिन बीत गया हँसते मुस्कुराते
अपनों का जीवन सरल सुगम बनाते बनाते
पैरों की खींचती हुई सी नसें कमर की अकड़न
याद दिलाती हैं कि कैसे चंचल हिरणी की तरह
दौड़ भाग कर सबकी जरूरतें पूरी की
एक संतुष्टि एक खुशी अपनों के लिए
रात बिस्तर पर पडे-पडे भी कल का मैन्यु तय करती हूँ
आहा मैं भी ना कमाल हूँ  मुझसे ही तो मकान घर है ना ……
हे ईश्वर ! तुझे लाखों प्रणाम  कि तूने मुझे स्त्री बनाया
ये संतुष्टि बिन स्त्री बने शायद  ना मिल पाती…………
मैं खुश हूँ मैं स्त्री हूँ ..नाज है मुझे मेरे स्त्रीत्व पर ……
और अपनी हर सहेली पर जो मेरी तरह ही एक स्त्री है.....

बुधवार, 1 मार्च 2017

मारवाड़ी भाषा रो आणंद

-: मारवाड़ी भाषा रो आणंद :-

भाईचारो मरतो दीखे,
पईसां लारे गेला होग्या।

घर सुं भाग गुरुजी बणग्या,
चोर उचक्का चेला होग्या।

चंदो खार कार में घुमे,
भगत मोकळा भेळा होग्या।

कम्प्यूटर रो आयो जमानो,
पढ़ लिख ढ़ोलीघोड़ा होग्या।

पढ़ी-लिखी लुगायां ल्याया
काम करण रा फोङा होग्या ।

घर-घर गाड़ी-घोड़ा होग्या,
जेब-जेब मोबाईल होग्या।

छोरयां तो होती आई पण
आज पराया छोरा होग्या।

राल्यां तो उधड़बा लागी,
न्यारा-न्यारा डोरा होग्या।

इतिहासां में गयो घूंघटो,
पाऊडर पुतिया मूंडा होग्या।

झरोखां री जाल्यां टूटी,
म्हेल पुराणां ढूंढा होग्या।

भारी-भारी बस्ता होग्या,
टाबर टींगर हळका होग्या।

मोठ बाजरी ने कुण पूछे,
पतळा-पतळा फलका होग्या।

रूंख भाडकर ठूंठ लेग्या
जंगळ सब मैदान होग्या।

नाडी नदियां री छाती पर
बंगला आलीशान होग्या।

मायड़ भाषा ने भूलग्या,
अंगरेजी का दास होग्या।

पूण कका रा आवे कोनी,
ऐमे बी.ए. पास होग्या।

सत संगत व्यापार होग्यो,
बिकाऊ ए भगवान होग्या।

आदमी रा नाम बदलता आया,
देवी देवता रा नाम बदलग्या।

भगवा भेष ब्याज रो धंधो,
धरम बेच धनवान होग्या।

ओल्ड बोल्ड मां बाप होग्या,
सासु सुसरा चौखा होग्या।

सेवा रा सपनां देख्या पण
आंख खुली तो धोखा होग्या।

बिना मूँछ रा मरद होग्या,
लुगायां रा राज होग्या।

दूध बेचकर दारू ल्यावे,
बरबादी रा साज होयग्या।

तीजे दिन तलाक होयग्यों,
लाडो लाडी न्यारा होग्या।

कांकण डोरां खुलियां पेली,
परण्या बींद कंवारा होग्या।

बिना रूत रा बेंगण होग्या,
सियाळा में आम्बा होग्या।

इंजेक्शन सूं गोळ तरबूज,
फूल-फूल कर लम्बा होग्या।

दिवलो करे उजास जगत में,
खुद रे तळे अंधेरा होग्या।

मन मरजीरा भाव होग्या,
पंसेरी रा पाव होग्या ।

थे पढ़र मजो ल्यो, और आगै भेजो ओ सन्देशो तो जरूर नवो होसी ।

घणा घणा रामरामसा