मंगलवार, 26 सितंबर 2017

उम्र की एेसी की तैसी...

उम्र की एेसी की तैसी... !

घर चाहे कैसा भी हो..
उसके एक कोने में..
खुलकर हंसने की जगह रखना..

सूरज कितना भी दूर हो..
उसको घर आने का रास्ता देना..

कभी कभी छत पर चढ़कर..
तारे अवश्य गिनना..
हो सके तो हाथ बढ़ा कर..
चाँद को छूने की कोशिश करना .

अगर हो लोगों से मिलना जुलना..
तो घर के पास पड़ोस ज़रूर रखना..

भीगने देना बारिश में..
उछल कूद भी करने देना..
हो सके तो बच्चों को..
एक कागज़ की किश्ती चलाने देना..

कभी हो फुरसत,आसमान भी साफ हो..
तो एक पतंग आसमान में चढ़ाना..
हो सके तो एक छोटा सा पेंच भी लड़ाना..

घर के सामने रखना एक पेड़..
उस पर बैठे पक्षियों की बातें अवश्य  सुनना..

घर चाहे कैसा भी हो..
घर के एक कोने में..
खुलकर हँसने की जगह रखना.

चाहे जिधर से गुज़रिये
मीठी सी हलचल मचा दिजिये,

उम्र का हरेक दौर मज़ेदार है
अपनी उम्र का मज़ा लिजिये.

ज़िंदा दिल रहिए जनाब,
ये चेहरे पे उदासी कैसी
वक्त तो बीत ही रहा है,
*उम्र की एेसी की तैसी.. !*

मंगलवार, 12 सितंबर 2017

रंग रूड़ौ रजथान

रंग रूड़ौ रजथान .

सती जती अर सुरमा सतधारण सुजान
मुधरी बोली मोवणी रंग रूड़ो रजथान

आडावल ऊभौ अडिग अड़ ऊंचो असमान
कोटि-कोटि कीरत कथन रंग रूड़ो रजथान

माही जाखम मानसी सिरे चंबल शान
नवल नीर नित नरमदा रंग रूड़ो रजथान

लाखीणी लूणी ललक जगत गंग जिमि जान
बहै बनास बड़भागिणी रंग  रूड़ोै रजथान

भलौ भरीजै भाखड़ा बिसलपुर बलवान
सरवर तरवर सौवणा रंग  रूड़ो रजथान

मकराणा रो मारबल राजसमद रसवान
जोधाणै छीतर जबर रंग रूड़ो  रजथान

खैर कैर अर खेजड़ा बोरां करूं बखान
पीलू ढालू पाँगरै रंग रूड़ो  रजथान

चंग भपंग कमायचा ताल मजीरा तान
मोरचंग मनभावणी रंग रूड़ो  रजथान

भाटै भाटै भोमिया थळवट्ट थपिया थान ़
जग चावा झूंझार जी रंग रूड़ौ रजथान

सदा सवाया सौवणा करी ऊँट कैकांण
गाय दुवाड़ै गौरकी  रंग रूड़ौ रजथान

चिड़ी कमेड़ी आ चुगै धरमादै रो धान
मोेर पपीहा मोकळा रंग रूड़ौ रजथान

पैरण धोती पागड़ी अँगरखी अचकान
मौत्यां मूंघी मोजड़ी  रंग रूड़ौ रजथान

महल अटारी माळिया छायां छप्पर छान
पड़वां पाळी प्रीतड़ी  रंग रूड़ौ रजथान

तेज धार तलवार है मखमल रो है म्यान
भाला ढालां भळकतां  रंग रूड़ौ रजथान

आखै भारत आखतां नर निपजै निरवाण
ठावी अर चावी ठसक  रंग रूड़ौ रजथान

@©© रतन सिंह चाँपावत रणसी गांव कृत

ऐ उम्र !

*ऐ उम्र !*
*कुछ कहा मैंने,*
*पर शायद तूने सुना नहीँ..!*
*तू छीन सकती है बचपन मेरा,*
*पर बचपना नहीं..!!*

*हर बात का कोई जवाब नही होता...,*
*हर इश्क का नाम खराब नही होता...!*
*यूं तो झूम लेते है नशे में पीनेवाले....,*
*मगर हर नशे का नाम शराब नही होता...!*

*खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है....!*
*हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है....!*
*जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम,*
*असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है....!*

*किसी ने खुदा से दुआ मांगी.!*
*दुआ में अपनी मौत मांगी,*
*खुदा ने कहा, मौत तो तुझे दे दु मगर...!*
*उसे क्या कहु जिसने तेरी जिंदगी मांगी...!*

*हर इंन्सान का दिल बुरा नही होता....!*
*हर एक इन्सान बुरा नही होता.*
*बुझ जाते है दीये कभी तेल की कमी से....!*
*हर बार कुसुर हवा का नही होता.. !!*