शनिवार, 29 अक्तूबर 2016

उस रोज़ दिवाली होती है

जब मन में हो मौज बहारों की
चमकाएँ चमक सितारों की,
जब ख़ुशियों के शुभ घेरे हों
तन्हाई  में  भी  मेले  हों,
आनंद की आभा होती है
*उस रोज़ 'दिवाली' होती है ।*

       जब प्रेम के दीपक जलते हों
       सपने जब सच में बदलते हों,
       मन में हो मधुरता भावों की
       जब लहके फ़सलें चावों की,
       उत्साह की आभा होती है
       *उस रोज़ दिवाली होती है ।*

जब प्रेम से मीत बुलाते हों
दुश्मन भी गले लगाते हों,
जब कहींं किसी से वैर न हो
सब अपने हों, कोई ग़ैर न हो,
अपनत्व की आभा होती है
*उस रोज़ दिवाली होती है ।*

       जब तन-मन-जीवन सज जाएं
       सद्-भाव  के बाजे बज जाएं,
       महकाए ख़ुशबू ख़ुशियों की
      मुस्काएं चंदनिया सुधियों की,
      तृप्ति  की  आभा होती  है
      उस रोज़ 'दिवाली' होती है .        

बचपन


किसी ने *भींत से रगड़कर* छोड़ी तो किसी ने सड़क पर रख *चप्पल से रगड़कर* छोड़ी ,
'

किसी ने *भाटे से कूट कूट कर* छोड़ी ,
तो किसी ने *बन्दूक में डालकर* छोड़ी ......
किसी ने *नट बोल्ट* का प्रयोग किया तो किसी ने *दांतो से किचरकर* छोड़ी ।
'
और तो और कुछ कुचमादियों ने मेरा *नाखूनों से कत्ल किया* तो किसी ने मुझे *जलती आग में* डालकर माहौल बनाया ।

बचपन में अलग अलग भांत के लफंगों ने मेरा अलग अलग तरह से शोषण किया ।

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-----
आज आप बड़े हो गए , मुझे भूल गए ..
लेकिन मुझे आप और आपका लपरा बचपन अच्छी तरह याद है ।

:---आपकी -- *टिकड़ी*

एक दिया ऐसा

" एक दिया ऐसा भी हो, जो भीतर तलक प्रकाश  करे  ,
एक दिया जीवन में फिर आकर क़ुछ  श्वास  भरे !
एक दिया सादा  हो इतना , जैसे सादा-सरल साधु  का जीवन ,
         एक दिया इतना  सुन्दर हो , जैसे देवों  का  उपवन  !
एक दिया भेद मिटाये  , क्या  तेरा -क्या मेरा  है  ,
         एक दिया  जो याद  दिलाये , हर रात  के बाद  सवेरा  है  !
एक दिया उनकी खातिर हो, जिनके घर में दिया नहीं ,
         एक दिया  उन बेचारों का जिनको घर ही दिया नहीं !
एक दिया सीमा के रक्षक , अपने भारत के  वीर जवानों  का ,
          एक दिया मानवता - रक्षक , चंद  बचे (मुट्ठी भर) इंसानों  का !
एक दिया विश्बास दे उनको , जिनकी हिम्मत टूट  गयी  ,
              एक दिया उस राह में भी हो , जो कल पीछे  छूट  गयी !
एक दिया जो अंधकार का , जड़  के साथ  विनाश  करे ,
           एक दिया  ऐसा  भी हो , जो भीतर तलक प्रकाश  करे ,"- - - -

मंगलवार, 25 अक्तूबर 2016

भगवान और शैतान....

❤❤❤❤
एक था भगवान,
एक था शैतान.....

❤❤❤❤
दोनों में जब झगड़ा हुआ तो,
बहुत हुआ नुकसान....

❤❤❤❤
दोनों ने मिलकर,
निकाला समस्या का समाधान....

❤❤❤❤
एक खिलौना बनाया,
और उसका नाम रखा इंसान....

❤❤❤❤
शैतान ने अपनी ताकतें दी,
क्रोध,धंमड और जलन.....

❤❤❤❤
भगवान ने अपने अंश दिये,
प्यार,दया और सम्मान...

❤❤❤❤
भगवान से मुस्कराकर बोला शैतान,
❤❤❤❤
न तेरा नुकसान,न मेरा नुकसान......

❤❤❤❤
तू जीते या मैं जितूं
हारेगा इंसान ....

और इसलिए कहते है...
❤❤❤❤
कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो,
कोई रुठे तो उसे मनाना सीखो ...

रिश्ते तो मिलते है मुकद्दर से,
बस उन्हे खूबसूरती से निभाना सीखों।

जन्म लिया है तो सिर्फ साँसे⚡ मत लीजिये,
❤❤❤❤
जीने का शौक भी रखिये..

❤❤❤❤
श्मशान ऐसे लोगो की राख से...भरा पड़ा है
जो समझते थे,,,
❤❤❤❤
दुनिया उनके बिना चल नहीं सकती.

❤❤❤❤
हाथ में टच फ़ोन,
बस स्टेटस के लिये अच्छा है…
❤❤❤❤
सबके टच में रहो,
जिंदगी के लिये ज्यादा अच्छा है…

❤❤❤❤
ज़िन्दगी में ना ज़ाने कौनसी बात "आख़री" होगी!
ना ज़ाने कौनसी रात "आख़री" होगी ।

❤❤❤❤
मिलते, जुलते, बातें करते रहो यार एक दूसरे से,
ना जाने कौनसी "मुलाक़ात" आख़री होगी...
✋✋✋✋✋✋✋✋
स्कूल की दोस्ती

  10th क्लास तक

यूनीवर्सिटी की दोस्ती

    फायनल इअर तक

  ऑफिस की दोस्ती

रिटायरमेंट तक

लव्हर की दोस्ती
      शादी तक

        .....But....

     हमारी दोस्ती 
       आप से
❤❤❤❤
      30 February  तक
❤❤❤❤
       ......क्योंकि......
❤❤❤❤
ना कभी 30 February आयेगा
ना कभी हमारी दोस्ती का end  होगा✌
❤❤❤❤
Note:
ये मॅसेज उन दोस्तो को भेजो जिन का साथ आप पुरी जिंदगी भर नही छोडना चाहते ☺
❤❤❤❤
मुझे भी करें अगर आप मुझे खोना नही चाहते तो 
❤❤❤❤
ये मॅसेज सबको सेंन्ड करो और देखो कितने लोग आपको खोना नहीं चाहते.
❤❤❤❤

ऐ  सुख

ऐ  सुख

तू कहाँ मिलता है
क्या तेरा कोई स्थायी पता है

क्यों बन बैठा है अन्जाना
आखिर क्या है तेरा ठिकाना।

कहाँ कहाँ ढूंढा तुझको
पर तू न कहीं मिला मुझको

ढूंढा ऊँचे मकानों में
बड़ी बड़ी दुकानों में

स्वादिस्ट पकवानों में
चोटी के धनवानों में

वो भी तुझको ढूंढ रहे थे
बल्कि मुझको ही पूछ रहे थे

क्या आपको कुछ पता है
ये सुख आखिर कहाँ रहता है?

मेरे पास तो दुःख का पता था
जो सुबह शाम अक्सर मिलता था

परेशान होके रपट लिखवाई
पर ये कोशिश भी काम न आई

उम्र अब ढलान पे है
हौसले थकान पे है

हाँ उसकी तस्वीर है मेरे पास
अब भी बची हुई है आस

मैं भी हार नही मानूंगा
सुख के रहस्य को जानूंगा

बचपन में मिला करता था
मेरे साथ रहा करता था

पर जबसे मैं बड़ा हो गया
मेरा सुख मुझसे जुदा हो गया।

मैं फिर भी नही हुआ हताश
जारी रखी उसकी तलाश

एक दिन जब आवाज ये आई
क्या मुझको ढूंढ रहा है भाई

मैं तेरे अन्दर छुपा हुआ हूँ
तेरे ही घर में बसा हुआ हूँ

मेरा नही है कुछ भी मोल
सिक्कों में मुझको न तोल

मैं बच्चों की मुस्कानों में हूँ
हारमोनियम की तानों में हूँ

पत्नी के साथ चाय पीने में
परिवार के संग जीने में

माँ बाप के आशीर्वाद में
रसोई घर के महाप्रसाद में

बच्चों की सफलता में हूँ
माँ की निश्छल ममता में हूँ

हर पल तेरे संग रहता हूँ
और अक्सर तुझसे कहता हूँ

मैं तो हूँ बस एक अहसास
बंद कर दे मेरी तलाश

जो मिला उसी में कर संतोष
आज को जी ले कल की न सोच

कल के लिए आज को न खोना

मेरे लिए कभी दुखी न होना।
मेरे लिए कभी दुखी न होना

रविवार, 23 अक्तूबर 2016

पुरानी गर्ल फ्रेंड से भेट! हास्य कविता ...

पुरानी गर्ल फ्रेंड से भेट!
हास्य कविता .........

एक दिन दफ्तर से घर आते हुए पुरानी गर्ल फ्रेंड से भेट हो गयी ;
और जो बीवी से मिलने की जल्दी थी वह ज़रा से लेट हो गयी;

जाते ही बीवी ने आँखे दिखाई -आदतानुसार हम पर चिल्लाई;
तुम क्या समझते हो मुझे नहीं है किसी बात का इल्म;
जरुर देख रहे होगे तुम
सक्रेटरी के साथ कोई फिल्म;

मैंने कहा - अरी पगली, घर आते हे ऐसे झिडकियां मत दिया कर;
कभी तो छोड़ दे, मुझ बेचारे पर
इस तरह शक मत किया कर;

पत्नी फिर तेज होकर बोली -
मुझे बेवकूफ बना रहे हो;
6 बजे दफ्तर बंद होता है
और तुम 10 बजे आ रहे हो;

मैंने कहा अब छोड़ यह धुन -
मेरी बात ज़रा ध्यान से सुन;
एक आदमी का एक हज़ार का
नोट खो गया था;
और वह उसे ढूंढने के
जिद्द पर अड़ा था;

पत्नी बोली, तो तुम
उसकी मदद कर रहे थे;
मैंने कहा , नहीं रे पगली
मै ही तो उस पर खड़ा था;

सुनते ही पत्नी हो गयी लोट-पोट;
और बोली कहाँ है वह हज़ार का नोट;
मैंने कहा बाकी तो खर्च हो गया
यह लो सौ रुपये का नोट ;

वह बोली क्या सब खा गए
बाकी के 900 कहाँ गए;

मैंने कहा : असल में
जब उस नोट के ऊपर मै खडा था;
तो एक लडकी की निगाह में उसी वक़्त मेरा पैर पडा था;

कही वह कुछ बक ना दे
इसलिए वह लडकी मनानी पडी;
उसे उसी के पसंद के पिक्चर हाल में फिल्म दिखानी पडी;

फिर उसे एक बढ़िया से रेस्टोरेन्ट में खाना खिलाना पड़ा;
और फिर उसे अपनी बाइक से
घर भी छोड़कर आना पड़ा;

तब कहीं जाकर तुम्हारे लिए
सौ रुपये बचा पाया हूँ;
यूँ समझो जानू तुम्हारे लिए
पानी पुरी का इंतजाम कर लाया हूँ;

अब तो बीवी रजामंद थी - क्यूंकि पानी पुरी उसे बेहद पसंद थी;

तुरंत मुस्कुराकर बोली :
मै भी कितनी पागल हूँ
इतनी देर से ऐसे ही
बक बक किये जा रही थी;

सच में आप मेरा
कितना ख़याल रखते है
और मै हूँ कि आप पर
शक किये जा रही थी!

सभी शादी शुदा लोगो को सप्रेम भेंट

बचपन बाली दिवाली .....

बचपन बाली दिवाली .....

हफ्तों पहले से साफ़-सफाई में जुट जाते हैं
चूने के कनिस्तर में थोड़ी नील मिलाते हैं
अलमारी खिसका खोयी चीज़ वापस  पाते हैं
दोछत्ती का कबाड़ बेच कुछ पैसे कमाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं  ....

दौड़-भाग के घर का हर सामान लाते हैं
चवन्नी -अठन्नी  पटाखों के लिए बचाते हैं
सजी बाज़ार की रौनक देखने जाते हैं
सिर्फ दाम पूछने के लिए चीजों को उठाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....

बिजली की झालर छत से लटकाते हैं
कुछ में मास्टर  बल्ब भी  लगाते हैं
टेस्टर लिए पूरे इलेक्ट्रीशियन बन जाते हैं
दो-चार बिजली के झटके भी  खाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....

दूर थोक की दुकान से पटाखे लाते है
मुर्गा ब्रांड हर पैकेट में खोजते जाते है
दो दिन तक उन्हें छत की धूप में सुखाते हैं
बार-बार बस गिनते जाते है
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....

धनतेरस के दिन कटोरदान लाते है
छत के जंगले से कंडील लटकाते हैं
मिठाई के ऊपर लगे काजू-बादाम खाते हैं
प्रसाद की  थाली   पड़ोस में  देने जाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....

माँ से खील में से  धान बिनवाते हैं
खांड  के खिलोने के साथ उसे जमके खाते है
अन्नकूट के लिए सब्जियों का ढेर लगाते है
भैया-दूज के दिन दीदी से आशीर्वाद पाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....

दिवाली बीत जाने पे दुखी हो जाते हैं 
कुछ न फूटे पटाखों का बारूद जलाते हैं
घर की छत पे दगे हुए राकेट पाते हैं
बुझे दीयों को मुंडेर से हटाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....

बूढ़े माँ-बाप का एकाकीपन मिटाते हैं
वहीँ पुरानी रौनक फिर से लाते हैं
सामान  से नहीं ,समय देकर सम्मान  जताते हैं
उनके पुराने सुने किस्से फिर से सुनते जाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2016

खो गया  है आज साया 


वो हुआ बेकार  किस्सा  दोस्तों ।
खो गया  है आज साया  दोस्तो।

हो  गया पूरा   जमाना मतलबी
आज दिखती सब को माया  दोस्तो।

राह  कितनी दूर क्यों ना हो भला
हौंसलों से  जीत लाता दोस्तो।

हार ना मानी कभी ये ज़िन्दगी
जीतने का जोश आया दोस्तो।

पूछ लूं मैं रास्ता तुमसे कभी
राह दीपा को दिखाना दोस्तो।
  
ं ं ं दीपा परिहार ं ं

अन्त में हम दोनों ही होंगे


अन्त में हम दोनों ही होंगे !!!.

भले ही झगड़े, गुस्सा करे,
एक दूसरे पर टूट पड़े
एक दूसरे पर दादागिरि करने के
लिये,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

जो कहना हे, वह कह ले,
जो करना हे, वह कर ले
एक दुसरे के चश्मे और
लकड़ी ढूँढने में,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

मैं रूठूं तो तुम मना लेना,
तुम रूठो ताे मै मना लूँगा
एक दुसरे को लाड़ लड़ाने के लिये,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

आँखे जब धुँधली होंगी,
याददाश्त जब कमजोर होंगी
तब एक दूसरे को एक दूसरे
मे ढूँढने के लिए,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

घुटने जब दुखने लगेंगे,
कमर भी झुकना बंद करेगी
तब एक दूसरे के पांव के नाखून काटने के लिए,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

"मेरी हेल्थ रिपोर्ट एक दम नॉर्मल
है, आइ एम आलराईट
ऐसा कह कर ऐक दूसरे को
बहकाने के लिए,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

साथ जब छूट जायेगा,
बिदाई की घड़ी जब आ जायेगी
तब एक दूसरे को माफ करने के लिए,
अन्त में हम दोनों ही होंगे......

Husband wife par jokes kitne bhi ho, but fact yehi hai...

जीवनसाथी

.......जीवनसाथी.........
....तुमसे रुठ भी जाऊं मेरे प्रिय ,
....तुम्हारे लौटने का इंतज़ार होता है ।
....तैरती खामोशियो के मंजर पर,
*.."क्या.. ...सुनो ...."*
का असर हर बार होता है ।

....शिकवे अपनी जगह इस रिश्ते में,
....मुस्कुराना ही मनुहार होता है ।
.... संग न महज आसां राहों का मगर  ,
.... दुःखो पर भी मेरा अधिकार होता है ।
......मन की गिरह जब जब खुले  ,
....नयी शुरुअात जैसे त्यौहार होता है ।
..... व्रत ,पूजन सब तुम्हारी खातिर,
.... ..चाँद से सजदा मेरा हर बार होता है ।
......ये कैसा रिश्ता सात फेरो में बंधा ,
.... शिकायत जिनसे उन्ही से प्यार होता है।

  करवाचौथ की अग्रिम बधाईयाँ

कुम्हारन बैठी रोड़ किनारे

कुम्हारन बैठी रोड़ किनारे,लेकर दीये दो-चार।
जाने क्या होगा अबकी,करती मन में विचार।।

याद करके आँख भर आई,पिछली दीवाली त्योहार।
बिक न पाया आधा समान,चढ गया सर पर उधार।।

सोंच रही है अबकी बार,दूँगी सारे कर्ज उतार।
सजा रही है, सारे दीये करीने से बार बार।।

पास से गुजरते लोगों को देखे कातर निहार।
बीत जाए न अबकी दीवाली जैसा पिछली बार।।

नम्र निवेदन मित्रों जनों से,करता हुँ मैँ मनुहार।
मिट्टी के ही दीये जलाएँ,दीवाली पर अबकी बार।।

ज़रा अ आसमां !

करवा चौथ स्पेशल

ज़रा अ आसमां ! तुम दिल को अपने थामना,देखो.
तुम्हारे चाँद का इस चाँद से है सामना, देखो.

मेरा महबूब छत पर आ गया है ओढ़ तारों को.
हुई हैरत जमीं पर देख तुमको क्यूँ सितारों को.
समेटे रंग दामन में,हँसी लेकर गुलाबी सी.
तुम्हारी रात को भी कर रही है वो शराबी सी.
धरा की अप्सरा है,पूछना तुम नाम ना, देखो.
तुम्हारे चाँद का....

बड़ी मुद्दत से कैसी ये अनोखी रात है आयी.
किसी को देख कर ये चाँदनी भी आज शरमायी.
चमकते पाँव के बिछुये,खनकते हाथ के कंगन.
हवा में खुशबुये ऐसे की जैसे महकता चंदन.
सजीला रूप देखूं तो बचे ना कामना,देखो.
तुम्हारे चाँद से...

ज़रा सा थाम धड़कन को,तू थोड़ा हौंसला रखना.
तू अपने चाँद से कह दे कि उनसे फासला रखना.
कहो तुम चाँदनी से कि बुझा आये सितारे भी.
धरा पर भी धरोहर है, फलक के हैं नजारे भी.
नज़र लग जाये ना उनको,
यूँ खुल्ले आम ना देखो.
तुम्हारे चाँद का....

विकास यशकीर्ति

उजली भोर  सुहाई कैसे।


उजली भोर  सुहाई कैसे।
तू ही कह दे आई  कैसे।

जब भी होते जग के मेले
लगती तब तन्हाई  कैसे।

कैसे पूछू किसको पूछू
तूने प्रीत भुलाई कैसे।

सब कुछ लूटा उसने पूछा
इस अनुराग नहाई कैसे।

लोग हुए हरजाई दीपा
समझे पीर पराई कैसे।
   ़दीपा परिहार

कहो आंख भर आई कैसे

दिल की देहरी से

कुछ स्पंदन

कहो आंख भर आई कैसे
महफिल में  तनहाई कैसे

वजूद मिटा कर जाना हमने
ये रस्म ए वफा निभाई कैसे

पूछूं किसको कौन बताए 
आखिर आग लगाई कैसे

मेरे बिन जो लम्हा था मुश्किल
सारी उम्र बिताई कैसे

समझ न पाया  राज़ आज तक
प्यारी पीर पराई कैसे

मेरे दिल में तेरी धड़कन
तू ही  कह दे आई कैसे

Ratan Singh Champawat

सोमवार, 17 अक्तूबर 2016

घर चाहे कैसा भी हो

*घर चाहे कैसा भी हो,*
*उसके एक कोने में,*
*खुलकर हंसने की जगह रखना,*

*सूरज कितना भी दूर हो, उसको घर आने का रास्ता देना,*

*कभी कभी छत पर चढ़कर*
*तारे अवश्य गिनना,*
*हो सके तो हाथ बढ़ा कर*,
*चाँद को छूने की कोशिश करना,*

*अगर हो लोगों से मिलना जुलना तो,*
*घर के पास पड़ोस ज़रूर रखना,*

*भीगने देना बारिश में,*
*उछल कूद भी करने देना,*
*हो सके तो बच्चों को,*
*एक कागज़ की किश्ती चलाने देना,*

*कभी हो फुरसत,आसमान भी साफ हो,तो एक पतंग आसमान में चढ़ाना*,
*हो सके तो एक छोटा सा पेंच भी लड़ाना,*

*घर के सामने रखना एक पेड़,*
*उस पर बैठे पक्षियों की बातें अवश्य सुनना,*

*घर के एक कोने में खुलकर हँसने की जगह रखना.*

औरतें बेहद अजीब होतीं है

गुलज़ार द्वारा लिखी किताब *_The longest short story of my life with grace_*जो उन्होंने *"राखी"*को समर्पित की है से एक अंश ....

लोग सच कहते हैं -
औरतें बेहद अजीब होतीं है

रात भर पूरा सोती नहीं
थोड़ा थोड़ा जागती रहतीं है
नींद की स्याही में
उंगलियां डुबो कर
दिन की बही लिखतीं
टटोलती रहतीं है
दरवाजों की कुंडियाॅ
बच्चों की चादर
पति का मन..
और जब जागती हैं सुबह
तो पूरा नहीं जागती
नींद में ही भागतीं है

सच है, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं

हवा की तरह घूमतीं, कभी घर में, कभी बाहर...
टिफिन में रोज़ नयी रखतीं कविताएँ
गमलों में रोज बो देती आशाऐं

पुराने अजीब से गाने गुनगुनातीं
और चल देतीं फिर
एक नये दिन के मुकाबिल
पहन कर फिर वही सीमायें
खुद से दूर हो कर भी
सब के करीब होतीं हैं

औरतें सच में, बेहद अजीब होतीं हैं

कभी कोई ख्वाब पूरा नहीं देखतीं
बीच में ही छोड़ कर देखने लगतीं हैं
चुल्हे पे चढ़ा दूध...

कभी कोई काम पूरा नहीं करतीं
बीच में ही छोड़ कर ढूँढने लगतीं हैं
बच्चों के मोजे, पेन्सिल, किताब
बचपन में खोई गुडिया,
जवानी में खोए पलाश,

मायके में छूट गयी स्टापू की गोटी,
छिपन-छिपाई के ठिकाने
वो छोटी बहन छिप के कहीं रोती...

सहेलियों से लिए-दिये..
या चुकाए गए हिसाब
बच्चों के मोजे, पेन्सिल किताब

खोलती बंद करती खिड़कियाँ
क्या कर रही हो?
सो गयी क्या ?
खाती रहती झिङकियाँ

न शौक से जीती है ,
न ठीक से मरती है
सच है, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं ।

कितनी बार देखी है...
मेकअप लगाये,
चेहरे के नील छिपाए
वो कांस्टेबल लडकी,
वो ब्यूटीशियन,
वो भाभी, वो दीदी...

चप्पल के टूटे स्ट्रैप को
साड़ी के फाल से छिपाती
वो अनुशासन प्रिय टीचर
और कभी दिख ही जाती है
कॉरीडोर में, जल्दी जल्दी चलती,
नाखूनों से सूखा आटा झाडते,

सुबह जल्दी में नहाई
अस्पताल मे आई वो लेडी डॉक्टर
दिन अक्सर गुजरता है शहादत में
रात फिर से सलीब होती है...

सच है, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं

सूखे मौसम में बारिशों को
याद कर के रोतीं हैं
उम्र भर हथेलियों में
तितलियां संजोतीं हैं

और जब एक दिन
बूंदें सचमुच बरस जातीं हैं
हवाएँ सचमुच गुनगुनाती हैं
फिजाएं सचमुच खिलखिलातीं हैं

तो ये सूखे कपड़ों, अचार, पापड़
बच्चों और सारी दुनिया को
भीगने से बचाने को दौड़ जातीं हैं...

सच है, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं ।

खुशी के एक आश्वासन पर
पूरा पूरा जीवन काट देतीं है
अनगिनत खाईयों को
अनगिनत पुलो से पाट देतीं है.

सच है, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं ।

ऐसा कोई करता है क्या?
रस्मों के पहाड़ों, जंगलों में
नदी की तरह बहती...
कोंपल की तरह फूटती...

जिन्दगी की आँख से
दिन रात इस तरह
और कोई झरता है क्या?
ऐसा कोई करता है क्या?

सच मे, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं..

गुलज़ार

(हमारे जीवन में ख़ुशी, समर्पण और प्रेम बरसाने वाली हर महिलाओं को सादर समर्पित)

Only Gulzar can write such a poem

Women are fickle minded.

Women are fickle minded.
At 18, they want handsome men.
At 25, they want matured men.
At 30, they want successful men.
At 40, they want established men.
At 50 ,they want faithful men.

Men are very simple.
At 18, they want pretty young girls.
At 25, they want pretty young girls.
At 30, they want pretty young girls.
At 40, they want pretty young girls.
At 50, they still want pretty young girls.

राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त

चारुचंद्र की चंचल किरणें,

खेल रहीं हैं जल थल में,

स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है,

अवनि और अम्बरतल में।

पुलक प्रकट करती है धरती,

हरित तृणों की नोकों से,

मानों झूम रहे हैं तरु भी,

मन्द पवन के झोंकों से॥

राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त की इन अनुपम पंक्तियों से "शरद ऋतु" के आगमन की "हार्दिक शुभकामनाऐं".....

एक खेल कहने-सुनने का।

वह कहता था,
वह सुनती थी,
जारी था एक खेल
कहने-सुनने का।

खेल में थी दो पर्चियाँ।
एक में लिखा था ‘कहो’,
एक में लिखा था ‘सुनो’।
अब यह नियति थी
या महज़ संयोग?
उसके हाथ लगती रही
वही पर्ची
जिस पर लिखा था ‘सुनो’।

वह सुनती रही।
उसने सुने आदेश।
उसने सुने उपदेश।
बन्दिशें उसके लिए थीं।
उसके लिए थीं वर्जनाएँ।
वह जानती थी,
'कहना-सुनना'
नहीं हैं केवल क्रियाएं।

राजा ने कहा, 'ज़हर पियो'
वह मीरा हो गई।
ऋषि ने कहा, 'पत्थर बनो'
वह अहिल्या हो गई।
प्रभु ने कहा, 'निकल जाओ'
वह सीता हो गई।
चिता से निकली चीख,
किन्हीं कानों ने नहीं सुनी।
वह सती हो गई।

घुटती रही उसकी फरियाद,
अटके रहे शब्द,
सिले रहे होंठ,
रुन्धा रहा गला।
उसके हाथ कभी नहीं लगी
वह पर्ची,
जिस पर लिखा था, ‘ कहो ’।

-Amrita Pritam

शरदपूर्णिमा

शरदचन्द्र बरसा रहा ,अमृत चाँदनी आज
धवल केश लहरा रही, धरा पहनकर ताज //

शरदपूर्णिमा रात है, जैसे खिली कपास
सागर चंदा खेलते ,आज डांडिया रास //

रासोत्सव ले आ गया,शरद चाँदनी रात
साजन से सजनी मिली,पाकर यह सौगात // 

शरदोत्सव ले आ गया ,आश्विन कार्तिक मास
शरद पूर्णिमा रात में ,मन छाया उल्लास //

शरदपूर्णिमा दे गई ,आकर यह सन्देश
शारदीय ऋतु आ गई ,धर बसंत का वेश //
.............

शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2016

Sapne saakar dollars kamane ke

ज़रा सोचिए , अगर आपको कुछ Android Apps इनस्टॉल करते ही $1.00 मिल जाए तो ?

और आप Unlimited Income करने के लिए Eligible हो जाए तो ?

वो भी Free मे ? ( No Joining Fees , No Hidden Charges , 100% Business)

 जी हा , ChampCash के साथ जूडीए और $1.00 का Joining Bonus हाथो हाथ पाइए ( Offer सीमित समय तक ) .

इतना ही नही अगर आप Champcash को अपने किसी दोस्त को Refer करते हो और वो भी कुछ Apps Install करता है तो आपको उससे भी Income होगी , ओर Aage वो भी किसी को रेफर करता है तो उससे भी इनकम होगी , वो भी 7 Levels तक . => आईए जानते है आप अपना $1.00 का Bonus कैसे प्राप्त कर सकते है और Unlimited Income के लिए कैसे Eligible हो सकते है ? ?

1. Champcash को नीचे दिए हुए Link से Install करे.

2. Champcash मे अपना Account बनाए.

3. Challenge को Complete कीजिए ( 8-10 Apps को Install करना है ओर 1-2 Minute तक Open भी करना है )

 4. Challenge Complete होते ही आपके Champcash Wallet मे $1 की Income आप देख सकोगे.

5. अब Unlimited Income कमाने के लिए Invite & Earn Menu मे जाइए ओर अपने सभी दोस्तो को Whatsapp, Facebook के ज़रिए Invite कीजिए => आईए जानते है आप Champcash मे Unlimited Income कैसे कर सकते है ?

1. अब Unlimited Income कमाने के लिए Invite & Earn Menu मे जाइए ओर अपने सभी दोस्तो को Whatsapp, Facebook के ज़रिए Invite कीजिए

 2. Ek Friend को Refer करने पर (उसका Challenge Complete होने पर , सभी Apps Install करवाने पर) $0.30 - $1.00 (Rs. 20 सें Rs.60 ) तक Income होगी.

3. इतना ही नहीं अगर आपका दोस्त भी किसी को Refer करता को उससे भी आपको Income होगी … और आगे भी … 7 लेवल तक आप कमा सकते है

 Here is All thing You ant to Know About ChampCash Please Watch All the videos to Earn Unlimited With us : ------------------------------- What is ChampCash Android App - Install Apps and Earn Unilimited (Hindi) https://www.youtube.com/watch?v=JNGRKYtAKKM -------------------------------- Vision of Champcash By Mahesh Verma - Founder Champcash : https://www.youtube.com/watch?v=LuSS_aBhEhI ------------------------------- How To Use Champcash Dashboard After Completing Challenge https://www.youtube.com/watch?v=4K8JAaSJlUw ------------------------------- How to Complete Champcash Challenge Full Tutorial https://www.youtube.com/watch?v=Aa6oOlwKfb4 -------------------------------- Champcash Full Plan Powerpoint PPT in English : https://drive.google.com/file/d/0B2JS00lJgijXRkRxdHJrYXJVdms/view?usp=sharing ------------------------------- Champcash Full Plan Powerpoint PPT in Hindi : https://drive.google.com/file/d/0B2JS00lJgijXbHRTUlRGOURQOVE/view?usp=sharing Registration के लिये इस लिंक पे Clickकरे ,या Copy करके सिर्फ Google Chrome Browser में Paste करे . Click: http://champcash.com/6740677 Sponsor ID : 6740677

जय हो हजबैंड

करवाचौथ में पतिदेव की आरती

मैं तो आरती उतारूँ रे, बच्चों के पापा की।
जय हो हजबैंड, तेरी जय जय हो...
जय हो हजबैंड, तेरी जय जय हो...
* बड़ी पूँजी है बड़ा-बड़ा कैश इसके बटुए में।
जिंदगी के हैं सारे ऐश इसके बटुए में।।
क्यूँ न झाँकूँ मैं बारम्बार इसके बटुए में।
दिखे हर घड़ी मॉल और बाजार इसके बटुए में।।
नृत्य करूँ झूम-झूम, बटुए को चूम-चूम,
बेलन ना मारूँ, आज इसे बेलन ना मारूँ रे...
मैं तो आरती उतारूँ रे, बच्चों के पापा की।।
* सदा होती है जय-जयकार मेरे हजबैंडवा की।
पर नारी पे टपके ना लार मेरे हजबैंडवा की।।
हो सबसे निराली कार मेरे हजबैंडवा की।
कभी इज्जत न हो तार-तार मेरे हजबैंडवा की।।
जो कमाए मुझे दे दें, जो भी दूँ हँसके ले ले
स्वामी पुकारूँ रे... कल 'टॉमी' पुकारूँ रे....
मैं तो आरती उतारूँ रे, बच्चों के पापा की।।
* हम हैं पत्तल तो तुम दोना, पति परमेश्वरजी।
हमसे कभी ना खफा होना, पति परमेश्वरजी।।
हम जो मारें तो मत रोना, पति परमेश्वरजी।
सबके कपडे सदा धोना, पति परमेश्वरजी।।
नौकर तुम, जोकर तुम, शोफर तुम, शौहर तुम
आठ आने वारूँ रे, तुम पे आठ आने वारूँ रे।।
मैं तो आरती उतारूँ रे, हजबैंड प्यारे की....
मैं तो आरती उतारूँ रे, बच्चों के पापा की।
जय हो हजबैंड, तेरी जय जय हो...
जय हो हजबैंड, तेरी जय जय हो.