सोमवार, 22 जनवरी 2018

वाह री जिंदगी

*वाह री जिंदगी*
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* दौलत की भूख ऐसी लगी की कमाने निकल गए *
* ओर जब दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए *
* बच्चो के साथ रहने की फुरसत ना मिल सकी *
* ओर जब फुरसत मिली तो बच्चे कमाने निकल गए *
        
वाह री जिंदगी*
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* जिंदगी की आधी उम्र तक पैसा कमाया*
*पैसा कमाने में इस शरीर को खराब किया *
* बाकी आधी उम्र उसी पैसे को *
* शरीर ठीक करने में लगाया *
* ओर अंत मे क्या हुआ *
* ना शरीर बचा ना ही पैसा *

           *वाह री जिंदगी*
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* शमशान के बाहर लिखा था *
* मंजिल तो तेरी ये ही थी *
* बस जिंदगी बित गई आते आते *
* क्या मिला तुझे इस दुनिया से *
* अपनो ने ही जला दिया तुझे जाते जाते *
            *वाह री जिंदगी*
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बेतहाशा है रफ्तार..

*गैरमुकम्मल सी है ये जिंदगी,
      *और वक्त की बेतहाशा है रफ्तार..

*रात इकाई,
*नींद दहाई
*ख्वाब सैंकडा,
*दर्द हजार....

*फिर भी जिँदगी मजेदार•••!!