गुरुवार, 20 अक्तूबर 2016

उजली भोर  सुहाई कैसे।


उजली भोर  सुहाई कैसे।
तू ही कह दे आई  कैसे।

जब भी होते जग के मेले
लगती तब तन्हाई  कैसे।

कैसे पूछू किसको पूछू
तूने प्रीत भुलाई कैसे।

सब कुछ लूटा उसने पूछा
इस अनुराग नहाई कैसे।

लोग हुए हरजाई दीपा
समझे पीर पराई कैसे।
   ़दीपा परिहार

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