दिल की देहरी से
कुछ स्पंदन
कहो आंख भर आई कैसे
महफिल में तनहाई कैसे
वजूद मिटा कर जाना हमने
ये रस्म ए वफा निभाई कैसे
पूछूं किसको कौन बताए
आखिर आग लगाई कैसे
मेरे बिन जो लम्हा था मुश्किल
सारी उम्र बिताई कैसे
समझ न पाया राज़ आज तक
प्यारी पीर पराई कैसे
मेरे दिल में तेरी धड़कन
तू ही कह दे आई कैसे
Ratan Singh Champawat
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