गुरुवार, 20 अक्तूबर 2016

कहो आंख भर आई कैसे

दिल की देहरी से

कुछ स्पंदन

कहो आंख भर आई कैसे
महफिल में  तनहाई कैसे

वजूद मिटा कर जाना हमने
ये रस्म ए वफा निभाई कैसे

पूछूं किसको कौन बताए 
आखिर आग लगाई कैसे

मेरे बिन जो लम्हा था मुश्किल
सारी उम्र बिताई कैसे

समझ न पाया  राज़ आज तक
प्यारी पीर पराई कैसे

मेरे दिल में तेरी धड़कन
तू ही  कह दे आई कैसे

Ratan Singh Champawat

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