*धन* तभी
सार्थक है,
जब *धर्म* भी साथ हो।
*सुंदरता* तभी
सार्थक है,
जब *चरित्र* भी शुद्ध हो।
*संपत्ति* तभी
सार्थक है,
जब *स्वास्थ्य* भी
अच्छा हो।
*मंदिर* जाना तभी
सार्थक है,
जब *हृदय* में भाव हो।
अच्छा *व्यापार* तभी
सार्थक है,
जब *व्यवहार* भी
अच्छा हो।
*ज्ञानी* होना तभी
सार्थक है,
जब *सरलता* भी
साथ हो।
✌� *प्रसिद्धि* तभी
सार्थक है,
जब मन में
*निर अहंकारिता* हो।
✍� *बुद्धिमता* तभी
सार्थक है,
जब *विवेक* भी
साथ हो।
*अतिथि* बनकर जाना
तभी सार्थक है,
जब वहां *सत्कार* हो।
*परिवार* का होना तभी
सार्थक है,
जब उसमें *प्यार* और
*आदर* हो।
*रिश्ते* तभी तक
सार्थक है,
जब तक आपस में
*विश्वास* हो।
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