बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

धन तभी सार्थक

*धन* तभी
सार्थक है,
जब *धर्म* भी साथ हो।

*सुंदरता* तभी
सार्थक है,
जब *चरित्र* भी शुद्ध हो।

*संपत्ति* तभी
सार्थक है,
जब *स्वास्थ्य* भी
अच्छा हो।

*मंदिर* जाना तभी
सार्थक है,
जब *हृदय* में भाव हो।

अच्छा *व्यापार* तभी
सार्थक है,
जब *व्यवहार* भी
अच्छा हो।

*ज्ञानी* होना तभी
सार्थक है,
जब *सरलता* भी
साथ हो।

✌� *प्रसिद्धि* तभी
सार्थक है,
जब मन में
*निर अहंकारिता* हो।

✍� *बुद्धिमता* तभी
सार्थक है,
जब *विवेक* भी
साथ हो।

*अतिथि* बनकर जाना
तभी सार्थक है,
जब वहां *सत्कार* हो।

‍‍‍ *परिवार* का होना तभी
सार्थक है,
जब उसमें *प्यार* और
*आदर* हो।

*रिश्ते* तभी तक
सार्थक है,
जब तक आपस में
*विश्वास* हो।

  
                

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें