रब का जब तक / साया जग में
तब तक मेरी / काया जग में
जिसने सीखा / गम को पीना
खुशियां लेकर /आया जग में
बिरवे रोपे / उम्मीदों के
फैली ठंडी / छाया जग में
एक परिंदा / बन उड जाऊं
उस रहमत को / पाया जग में
दीपा के मन / में है उलझन
ममता सच या माया जग मे़ं।
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