❤❤ दिल की देहरी से ❤❤
कुछ स्पंदन
शाम गुलाबी रहे सुबह श़ब़नमी रहे
देखना इंतजा़म में न कोई कमी रहे
य़काय़क सब विराने आबाद हो जाए
जो दिल में आकर मेरा दिलनशीं रहे
तलाश लूंगा खुद में खुद ही को एक दिन
कायम बस मुझ पर मेरा ही य़कीं रहे
विसाल ए सनम और नूर फजा़ओं में
ये लहू की रवानियां आज थमी रहे
हक़ मतलबी दुनिया का अदा करने दे
या रब ! फिर वही जो तेरी मरज़ी रहे
इतनी सी दुआ करो मेरे मेहरबां !
यह दिल की चोट मेरे सदा हरी रहे
उसी का मशविरा देना ऐ जिंदगी
जो करना मेरे लिए लाज़िमी रहे
आबेहयात भी य़कीनन मिल जायेगा
गरचे सलामत अपनी तिश्ना लबी रहे
©© *रतन सिंह चंपावत कृत*©©©©©©
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