*तकदीर :*
*एक हसीन लडकी*
*राजा के दरबार में*
*डांस कर रही थी...*
*( राजा बहुत बदसुरत था )*
*लडकी ने राजा से एक*
*सवाल की इजाजत मांगी*
.
*राजा ने कहा ,*
*' चलो पुछो .'*
.
*लडकी ने कहा ,*
*'जब हुस्न बंट रहा था*
*तब आप कहां थे..??*
.
*राजा ने गुस्सा नही किया*
*बल्कि*
*मुस्कुराते हुवे कहा*
*~ जब तुम हुस्न की*
*लाइन् में खडी*
*हुस्न ले रही थी , ~*
.
*~ तो में*
*किस्मत की लाइन में खडा*
*किस्मत ले रहा था*
.
*और आज*
*तुझ जैसी हुस्न वालीयां*
*मेरी गुलाम की तरह*
*नाच रही है...........*
.
*इसलिए शायर खुब कहते है,*
.
*" हुस्न ना मांग*
*नसीब मांग ए दोस्त ,*
*हुस्न वाले तो*
*अक्सर नसीब वालों के*
*गुलाम हुआ करते है...*
*" जो भाग्य में है ,*
*वह भाग कर आएगा,*
*जो नहीं है ,*
*वह आकर भी*
*भाग जाएगा....!!!!!."*
*यहाँ सब कुछ बिकता है ,*
*दोस्तों रहना जरा संभाल के,*
*बेचने वाले हवा भी बेच देते है,*
*गुब्बारों में डाल के,*
*सच बिकता है ,*
*झूट बिकता है,*
*बिकती है हर कहानी,*
*तीनों लोक में फेला है ,*
*फिर भी बिकता है*
*बोतल में पानी ,*
*कभी फूलों की तरह मत जीना,*
*जिस दिन खिलोगे ,*
*टूट कर बिखर्र जाओगे ,*
*जीना है तो*
*पत्थर की तरह जियो ;*
*जिस दिन तराशे गए ,*
*" भगवान " बन जाओगे...!!!!*
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