रविवार, 27 नवंबर 2016

दूर सब फासला

❤❤दिल की देहरी से ❤❤

कुछ स्पंदन

दूर सब फासला हो गया
मंजिल खुद रास्ता हो गया

रोज ए हश्र मिल ही गए
और वादा वफा हो गया

आंख से दिल में उतरा था
बाद में लापता हो गया

किस नजर से देखा उसने
आलमे मयफिशॉ हो गया

सूरते हाल से समझ ले
पूछना मत क्या हो गया

बाखुदा आज खुश है बहुत
वो जहाँ से रिहा हो गया

©©©©©©©© *रतन सिंह चंपावत कृत*

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें