सोमवार, 7 नवंबर 2016

क्या  देना_

अंधों   को  दर्पण  क्या  देना_
_बहरों को भजन सुनाना क्या_
_जो  रक्त  पान  करते  उनको_
_गंगा  का  नीर  पिलाना  क्या.._

_हमने  जिनको दो आँखे दी_
_वो हमको आँख दिखा बैठे_
_हम  शांति  यज्ञ  में लगे रहे_
_वो   श्वेत  कबूतर  खा  बैठे.._

_वो छल पे छल करता आया_
_हम  अड़े  रहे  विश्वासों  पर_
_कितने  समझौते  थोप  दिए_
_हमने  बेटों   की   लाशों  पर.._

_अब लाशें भी यह बोल उठी_
_मत  अंतर्मन  पर  घात करो_
_दुश्मन जो भाषा समझ सके_
_अब  उस भाषा में बात करो.._

_वो  झाड़ी  है, हम  बरगद हैं_
_वो  है  बबूल  हम  चन्दन हैं_
_वो  है  जमात  गीदड़  वाली_
_हम सिंहों का अभिनन्दन हैं.._

_ऐ पाक  तुम्हारी धमकी से_
_यह  धरा  नहीं डरने वाली_
_यह अमर सनातन माटी है_
_ये  कभी  नहीं  मरने वाली.._

_तुम भूल गए सन् अड़तालिस_
_पैदा   होते   ही   अकड़े   थे_
_हम उन कबायली बकरों की_
_गर्दन   हाथों   से   पकड़े  थे.._

_तुम भूल गए सन् पैंसठ को_
_तुमने  पंगा  कर  डाला  था_
_छोटे  से   लाल  बहादुर  ने_
_तुमको  नंगा  कर डाला था.._

_तुम भूले सन्  इकहत्तर को_
_जब  तुम  ढाका पर ऐंठे थे_
_नब्बे   हजार   पाकिस्तानी_
_घुटनों  के  बल  पर  बैठे थे.._

_तुम भूल  गए करगिल का रण_
_हिमगिरि पर लिखी कहानी थी_
_इस्लामाबादी       गुंडों      को_
_जब   याद   दिलाई   नानी  थी.._

_तुम  सारी  दुर्गति भूल गए_
_फिर से बवाल कर बैठे हो_
_है  उत्तर खुद के पास नहीं_
_हमसे  सवाल  कर बैठे हो.._

_बिगड़ैल किसी बच्चे जैसे_
_आलाप  तुम्हारे  लगते  हैं_
_तुम  भूल  गए हो रिश्ते में_
_हम  बाप  तुम्हारे लगते हैं.._

_बेटा  पिटने  का  आदी है_
_बेटा   पक्का   जेहादी  है_
_शायद बेटे की किस्मत में_
_बर्बादी    ही   बर्बादी    है.._

_तेरी   बर्बादी  में  खुद को_
_बर्बाद    नहीं    होने   देंगे_
_हम भारत माँ के सीने पर_
_जेहाद   नहीं   होने    देंगे.._

_तू  रख हथियार उधारी के_
_हम अपने दम से लड़ लेंगे_
_गर एटम बम से लड़ना हो_
_तो  एटम  बम  से लड़ लेंगे.._

_जब  तक तू बटन दबायेगा_
_हम  पृथ्वी  नाग  चला  देंगे_
_तू  जब तक दिल्ली  ढूंढेगा_
_हम  पूरा  पाक  जला  देंगे.._

_यह कथन सारा आवाम कहे_
_गर फिर से आँख दिखाओगे_
_तुम सवा अरब के भारत की_
_मुट्ठी    से    मसले   जाओगे.._

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