अंधों को दर्पण क्या देना_
_बहरों को भजन सुनाना क्या_
_जो रक्त पान करते उनको_
_गंगा का नीर पिलाना क्या.._
_हमने जिनको दो आँखे दी_
_वो हमको आँख दिखा बैठे_
_हम शांति यज्ञ में लगे रहे_
_वो श्वेत कबूतर खा बैठे.._
_वो छल पे छल करता आया_
_हम अड़े रहे विश्वासों पर_
_कितने समझौते थोप दिए_
_हमने बेटों की लाशों पर.._
_अब लाशें भी यह बोल उठी_
_मत अंतर्मन पर घात करो_
_दुश्मन जो भाषा समझ सके_
_अब उस भाषा में बात करो.._
_वो झाड़ी है, हम बरगद हैं_
_वो है बबूल हम चन्दन हैं_
_वो है जमात गीदड़ वाली_
_हम सिंहों का अभिनन्दन हैं.._
_ऐ पाक तुम्हारी धमकी से_
_यह धरा नहीं डरने वाली_
_यह अमर सनातन माटी है_
_ये कभी नहीं मरने वाली.._
_तुम भूल गए सन् अड़तालिस_
_पैदा होते ही अकड़े थे_
_हम उन कबायली बकरों की_
_गर्दन हाथों से पकड़े थे.._
_तुम भूल गए सन् पैंसठ को_
_तुमने पंगा कर डाला था_
_छोटे से लाल बहादुर ने_
_तुमको नंगा कर डाला था.._
_तुम भूले सन् इकहत्तर को_
_जब तुम ढाका पर ऐंठे थे_
_नब्बे हजार पाकिस्तानी_
_घुटनों के बल पर बैठे थे.._
_तुम भूल गए करगिल का रण_
_हिमगिरि पर लिखी कहानी थी_
_इस्लामाबादी गुंडों को_
_जब याद दिलाई नानी थी.._
_तुम सारी दुर्गति भूल गए_
_फिर से बवाल कर बैठे हो_
_है उत्तर खुद के पास नहीं_
_हमसे सवाल कर बैठे हो.._
_बिगड़ैल किसी बच्चे जैसे_
_आलाप तुम्हारे लगते हैं_
_तुम भूल गए हो रिश्ते में_
_हम बाप तुम्हारे लगते हैं.._
_बेटा पिटने का आदी है_
_बेटा पक्का जेहादी है_
_शायद बेटे की किस्मत में_
_बर्बादी ही बर्बादी है.._
_तेरी बर्बादी में खुद को_
_बर्बाद नहीं होने देंगे_
_हम भारत माँ के सीने पर_
_जेहाद नहीं होने देंगे.._
_तू रख हथियार उधारी के_
_हम अपने दम से लड़ लेंगे_
_गर एटम बम से लड़ना हो_
_तो एटम बम से लड़ लेंगे.._
_जब तक तू बटन दबायेगा_
_हम पृथ्वी नाग चला देंगे_
_तू जब तक दिल्ली ढूंढेगा_
_हम पूरा पाक जला देंगे.._
_यह कथन सारा आवाम कहे_
_गर फिर से आँख दिखाओगे_
_तुम सवा अरब के भारत की_
_मुट्ठी से मसले जाओगे.._
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