मेरी गज़ल।
इस वफ़ा को सजा हो गई।
जिदंगी अब खफा हो गई।
फेर ली सामने से नजर
छोड़ दुनिया दफा हो गई।
पी रहा है अकेला वहॉ
मैं यहॉ खुद नशा हो गई।
चाहती ना किसी और को
खुद ही खुद पर फिदा हो गई
आ गई पास दीपा के जब
बददुआ भी दुआ हो गई।
ंंंंंंंदीपा परिहार ंंंंंं
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