*महादेवी वर्मा* की सुंदर पंक्तियाँ
आ गए तुम?
द्वार खुला है, अंदर आओ..!
पर तनिक ठहरो..
*ड्योढी पर पड़े पायदान पर,*
*अपना अहं झाड़ आना..!*
मधुमालती लिपटी है मुंडेर से,
*अपनी नाराज़गी वहीँ उड़ेल आना..!*
तुलसी के क्यारे में,
*मन की चटकन चढ़ा आना..!*
*अपनी व्यस्ततायें,*बाहर खूंटी पर ही *टांग आना..!*
जूतों संग, *हर नकारात्मकता उतार आना..!*
बाहर किलोलते बच्चों से,
*थोड़ी शरारत माँग लाना..!*
वो गुलाब के गमले में,
*मुस्कान लगी है..*
*तोड़ कर पहन आना..!*
लाओ, *अपनी उलझनें मुझे थमा दो..*
तुम्हारी थकान पर, *मनुहारों का पँखा झुला दूँ..!*
*देखो, शाम बिछाई है मैंने,*
*सूरज क्षितिज पर बाँधा है,*
*लाली छिड़की है नभ पर..!*
*प्रेम और विश्वास की मद्धम आंच पर,* चाय चढ़ाई है,
घूँट घूँट पीना..!
*सुनो, इतना मुश्किल भी नहीं हैं जीना...*
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