*मंदी में पति की लिखी एक कविता अपनी पत्नी को..........!!!*
प्रिय क्यूँ तुम नए-नए
सूट सिलाती हो !
पुरानी साडी में भी तुम
अप्सरा सी नजर आती हो !!!
इन ब्यूटी पार्लरों के
चक्करों में ना पडा करो !
अपने चांद से चेहरे को
क्रीम पाउडर से यूँ ना ढका करो !!
रेस्टोरेंट होटल के खाने में क्या रखा है !
तुम्हारे हाथों से बना घर का खाना,
इनसे लाख गुना अच्छा है !!!
इन सैर सपाटों में वो बात कहाँ !
तुम्हारे मायके जैसा
ऐशो-आराम कहाँ !!!
नौकरों से खिटपिट में,
मत सेहत तुम अपनी खराब करो !
झाडू-पौछा लगा
हल्का सा व्यायाम करो !!!
सोने-चांदी में मिलती
अब सो सो खोट है !
तुम्हारी सुन्दरता ही
24 कैरेट प्योर गोल्ड है !!!
माया-माया मत किया कर पगली,
यह तो महा ठगिनी है !
मेरे इस घर-आंगन की तो,
तू ही असली धन लक्ष्मी है !!
*हैप्पी मंदी*
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