शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

बीवी कपडे  वाले की....व्यंग्य

*बीवी कपडे  वाले की*....व्यंग्य का आनंद लें.
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हाय राम हमारी किस्मत तो,
लगता है एकदम सो गई है;
जबसे मेरी शादी,
एक अध्यापक जी से हो गई है।

सुबह 7 बजे घर से निकलें, ढाई बजे आ जाते हैं;
घर पड़े पड़े फिर पूरा दिन वह,
मुझपे हुकुम चलाते हैं।

भगवान बनाया क्यों मुझे, एक बीवी टीचिंग वाले की;
अगले जनम मे मुझे बनाना,
बीवी *कपडे वाले* की।।

सुबह के निकले सैँया जी, देर रात घर आएंगे;
बिना किसी झगड़े दंगे,
दो पैग लगा सो जाएंगे

गजब निराली माया होगी, व्हिस्की औ रम के प्याले की;
अगले जनम मे मुझे बनाना,
बीवी *कपडे वाले* की।।
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*कपडे वाले* जीवन जीते, पत्नी रोमाँस मे;
वीस हजार खर्च करें,
पत्नी के मेंटिनेन्स मे।

पतिदेव की कमाई
जैसे जैसे बढ़ती जायेगी;
सच कहती हूँ सुंदरता,
मेरी और निखरती जायेगी।

परवाह नहीं बनाना मुझको,
गोरे की या काले की;
अगले जनम मे मुझे बनाना,
बीवी *कपडे वाले* की।।
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जब मेरा जी ना चाहे,
मै खाना नही बनाऊँगी;
पतिदेव से कहके,
खाना होटल से मंगवाऊँगी।

बैठके पीछे बाईक पर,
हर हफ्ते पिक्चर जाऊँगी,
जीन्स टाप सब ब्रैण्डेड सैण्डल,
पैंट पहन इतराऊँगी।

शकल देखना चाहूं न मै, साड़ी शाल दुशाले की;
अगले जनम मे मुझे बनाना,
बीवी *कपडे वाले* की।।
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*कपडे वाले* हद से ज्यादा,
बीवी की केयर करते हैं;
बड़े बड़े अफसर तक भी, अपनी बीवीजी से डरते हैं।

कभी कभी गलती से ही, बीवी पर गुस्सा खाते हैं;
थोडा आँख दिखा दो तो, तुरंत ही घबरा जाते हैं।

बत्ती गुल हो जाती है, अच्छे अच्छे किस्मत वाले की;
अगले जनम मे मुझे बनाना,
बीवी *कपडे वाले*की।।
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पर अगले जनम तक इन्तज़ार करना ,
भी मुश्किल हो जायेगा; *कपडे वाले*की खातिर, यह दिल पागल ही हो जायेगा।

अगर इसी जनम मे मिल जाए,
कोई *कपडे वाला* इस साधक को;
सच कहती हूँ छोड़ भगूंगी, इस पगले अध्यापक को।

परवाह नहीं बनाना मुझको,
गोरे की या काले की;
अगले जनम मे मुझे , बीवी बनाना *कपडे वाले की*।।
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अगले जनम मे मुझे बनाना, बीवी *कपडे वाले की*।।

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