गुरुवार, 15 सितंबर 2016

हिंदी पर कविताएँ

सादर वन्दे

जो भरानहीं भावोंसे उसमे बहती रसधारनहीं
हृदयनहीं पत्थरहै जिसमे स्वदेशका प्यारनहीं

*हिन्दीभाषा नहीं भावों की अभिव्यक्ति है*
*यह मातृभूमि पर मर मिटने की भक्ति है.!*

आपको मातृभाषा हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं
                                         *वन्देमातरम*

संस्कृत की एक लाड़ली बेटी है ये हिन्दी।
बहनों को साथ लेकर चलती है ये हिन्दी।

सुंदर है, मनोरम है, मीठी है, सरल है,
ओजस्विनी है और अनूठी है ये हिन्दी।

पाथेय है, प्रवास में, परिचय का सूत्र है,
मैत्री को जोड़ने की सांकल है ये हिन्दी।

पढ़ने व पढ़ाने में सहज है, ये सुगम है,
साहित्य का असीम सागर है ये हिन्दी।

तुलसी, कबीर, मीरा ने इसमें ही लिखा है,
कवि सूर के सागर की गागर है ये हिन्दी।

वागेश्वरी का माथे पर वरदहस्त है,
निश्चय ही वंदनीय मां-सम है ये हिंदी।

अंग्रेजी से भी इसका कोई बैर नहीं है,
उसको भी अपनेपन से लुभाती है ये हिन्दी।

यूं तो देश में कई भाषाएं और हैं,
पर राष्ट्र के माथे की बिंदी है ये हिन्दी।

 

प्रांतीय ईर्ष्या-द्वेष को दूर करने में जितनी सहायता हमे हिन्दी के प्रचार से मिलेगी , उतनी किसी चीज से नही मिल सकती, अपनी प्रांतीय भाषाओं की भरपूर उन्नती कीजिये उसमे कोई बाधा नही डालना चाहता और न हम किसी की बाधा को सहन ही कर सकते है , पर सारे प्रान्तों की सार्वजानिक भाषा का पद हिन्दी या हिदुस्तानी को ही मिला है
            *नेताजी सुभाष चंद्र बोस*

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