शनिवार, 17 सितंबर 2016

रामचरितमानस की चौपाइयों में

*रामचरितमानस की चौपाइयों में ऐसी क्षमता है कि इन चौपाइयों के जप से ही मनुष्य बड़े-से-बड़े संकट में भी मुक्त हो जाता है।*

*इन मंत्रो का जीवन में प्रयोग अवश्य करे प्रभु श्रीराम आप के जीवन को सुखमय बना देगे।*

*1.* रक्षा के लिए

*मामभिरक्षक रघुकुल नायक |*
*घृत वर चाप रुचिर कर सायक ||*

*2.* विपत्ति दूर करने के लिए

*राजिव नयन धरे धनु सायक |*
*भक्त विपत्ति भंजन सुखदायक ||*

*3.* सहायता के लिए

*मोरे हित हरि सम नहि कोऊ |*
*एहि अवसर सहाय सोई होऊ ||*

*4.* सब काम बनाने के लिए

*वंदौ बाल रुप सोई रामू |*
*सब सिधि सुलभ जपत जोहि नामू ||*

*5.* वश मे करने के लिए

*सुमिर पवन सुत पावन नामू |*
*अपने वश कर राखे राम ||*

*6.* संकट से बचने के लिए

*दीन दयालु विरद संभारी |*
*हरहु नाथ मम संकट भारी ||*

*7.* विघ्न विनाश के लिए

*सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही |*
*राम सुकृपा बिलोकहि जेहि ||*

*8.* रोग विनाश के लिए

*राम कृपा नाशहि सव रोगा |*
*जो यहि भाँति बनहि संयोगा ||*

*9.* ज्वार ताप दूर करने के लिए

*दैहिक दैविक भोतिक तापा |*
*राम राज्य नहि काहुहि व्यापा ||*

*10.* दुःख नाश के लिए

*राम भक्ति मणि उस बस जाके |*
*दुःख लवलेस न सपनेहु ताके ||*

*11.* खोई चीज पाने के लिए

*गई बहोरि गरीब नेवाजू |*
*सरल सबल साहिब रघुराजू ||*

*12.* अनुराग बढाने के लिए

*सीता राम चरण रत मोरे |*
*अनुदिन बढे अनुग्रह तोरे ||*

*13.* घर मे सुख लाने के लिए

*जै सकाम नर सुनहि जे गावहि |*
*सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहिं ||*

*14.* सुधार करने के लिए

*मोहि सुधारहि सोई सब भाँती |*
*जासु कृपा नहि कृपा अघाती ||*

*15.* विद्या पाने के लिए

*गुरू गृह पढन गए रघुराई |*
*अल्प काल विधा सब आई ||*

*16.* सरस्वती निवास के लिए

*जेहि पर कृपा करहि जन जानी |*
*कवि उर अजिर नचावहि बानी ||*

*17.* निर्मल बुद्धि के लिए

*ताके युग पदं कमल मनाऊँ |*
*जासु कृपा निर्मल मति पाऊँ ||*

*18.* मोह नाश के लिए

*होय विवेक मोह भ्रम भागा |*
*तब रघुनाथ चरण अनुरागा ||*

*19.* प्रेम बढाने के लिए

*सब नर करहिं परस्पर प्रीती |*
*चलत स्वधर्म कीरत श्रुति रीती ||*

*20.* प्रीति बढाने के लिए

*बैर न कर काह सन कोई |*
*जासन बैर प्रीति कर सोई ||*

*21.* सुख प्रप्ति के लिए

*अनुजन संयुत भोजन करही |*
*देखि सकल जननी सुख भरहीं ||*

*22.* भाई का प्रेम पाने के लिए

*सेवाहि सानुकूल सब भाई |*
*राम चरण रति अति अधिकाई ||*

*23.* बैर दूर करने के लिए

*बैर न कर काहू सन कोई |*
*राम प्रताप विषमता खोई ||*

*24.* मेल कराने के लिए

*गरल सुधा रिपु करही मिलाई |*
*गोपद सिंधु अनल सितलाई ||*

*25.* शत्रु नाश के लिए

*जाके सुमिरन ते रिपु नासा |*
*नाम शत्रुघ्न वेद प्रकाशा ||*

*26.* रोजगार पाने के लिए

*विश्व भरण पोषण करि जोई |*
*ताकर नाम भरत अस होई ||*

*27.* इच्छा पूरी करने के लिए

*राम सदा सेवक रूचि राखी |*
*वेद पुराण साधु सुर साखी ||*

*28.* पाप विनाश के लिए

*पापी जाकर नाम सुमिरहीं |*
*अति अपार भव भवसागर तरहीं ||*

*29.* अल्प मृत्यु न होने के लिए

*अल्प मृत्यु नहि कबजिहूँ पीरा |*
*सब सुन्दर सब निरूज शरीरा ||*

*30.* दरिद्रता दूर के लिए

*नहि दरिद्र कोऊ दुःखी न दीना |*
*नहि कोऊ अबुध न लक्षण हीना ||*

*31.* प्रभु दर्शन पाने के लिए

*अतिशय प्रीति देख रघुवीरा |*
*प्रकटे ह्रदय हरण भव पीरा ||*

*32.* शोक दूर करने के लिए

*नयन बन्त रघुपतहिं बिलोकी |*
*आए जन्म फल होहिं विशोकी ||*

*33.* क्षमा माँगने के लिए

*अनुचित बहुत कहहूँ अज्ञाता |*
*क्षमहुँ क्षमा मन्दिर दोऊ भ्राता ||*

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