*रामचरितमानस की चौपाइयों में ऐसी क्षमता है कि इन चौपाइयों के जप से ही मनुष्य बड़े-से-बड़े संकट में भी मुक्त हो जाता है।*
*इन मंत्रो का जीवन में प्रयोग अवश्य करे प्रभु श्रीराम आप के जीवन को सुखमय बना देगे।*
*1.* रक्षा के लिए
*मामभिरक्षक रघुकुल नायक |*
*घृत वर चाप रुचिर कर सायक ||*
*2.* विपत्ति दूर करने के लिए
*राजिव नयन धरे धनु सायक |*
*भक्त विपत्ति भंजन सुखदायक ||*
*3.* सहायता के लिए
*मोरे हित हरि सम नहि कोऊ |*
*एहि अवसर सहाय सोई होऊ ||*
*4.* सब काम बनाने के लिए
*वंदौ बाल रुप सोई रामू |*
*सब सिधि सुलभ जपत जोहि नामू ||*
*5.* वश मे करने के लिए
*सुमिर पवन सुत पावन नामू |*
*अपने वश कर राखे राम ||*
*6.* संकट से बचने के लिए
*दीन दयालु विरद संभारी |*
*हरहु नाथ मम संकट भारी ||*
*7.* विघ्न विनाश के लिए
*सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही |*
*राम सुकृपा बिलोकहि जेहि ||*
*8.* रोग विनाश के लिए
*राम कृपा नाशहि सव रोगा |*
*जो यहि भाँति बनहि संयोगा ||*
*9.* ज्वार ताप दूर करने के लिए
*दैहिक दैविक भोतिक तापा |*
*राम राज्य नहि काहुहि व्यापा ||*
*10.* दुःख नाश के लिए
*राम भक्ति मणि उस बस जाके |*
*दुःख लवलेस न सपनेहु ताके ||*
*11.* खोई चीज पाने के लिए
*गई बहोरि गरीब नेवाजू |*
*सरल सबल साहिब रघुराजू ||*
*12.* अनुराग बढाने के लिए
*सीता राम चरण रत मोरे |*
*अनुदिन बढे अनुग्रह तोरे ||*
*13.* घर मे सुख लाने के लिए
*जै सकाम नर सुनहि जे गावहि |*
*सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहिं ||*
*14.* सुधार करने के लिए
*मोहि सुधारहि सोई सब भाँती |*
*जासु कृपा नहि कृपा अघाती ||*
*15.* विद्या पाने के लिए
*गुरू गृह पढन गए रघुराई |*
*अल्प काल विधा सब आई ||*
*16.* सरस्वती निवास के लिए
*जेहि पर कृपा करहि जन जानी |*
*कवि उर अजिर नचावहि बानी ||*
*17.* निर्मल बुद्धि के लिए
*ताके युग पदं कमल मनाऊँ |*
*जासु कृपा निर्मल मति पाऊँ ||*
*18.* मोह नाश के लिए
*होय विवेक मोह भ्रम भागा |*
*तब रघुनाथ चरण अनुरागा ||*
*19.* प्रेम बढाने के लिए
*सब नर करहिं परस्पर प्रीती |*
*चलत स्वधर्म कीरत श्रुति रीती ||*
*20.* प्रीति बढाने के लिए
*बैर न कर काह सन कोई |*
*जासन बैर प्रीति कर सोई ||*
*21.* सुख प्रप्ति के लिए
*अनुजन संयुत भोजन करही |*
*देखि सकल जननी सुख भरहीं ||*
*22.* भाई का प्रेम पाने के लिए
*सेवाहि सानुकूल सब भाई |*
*राम चरण रति अति अधिकाई ||*
*23.* बैर दूर करने के लिए
*बैर न कर काहू सन कोई |*
*राम प्रताप विषमता खोई ||*
*24.* मेल कराने के लिए
*गरल सुधा रिपु करही मिलाई |*
*गोपद सिंधु अनल सितलाई ||*
*25.* शत्रु नाश के लिए
*जाके सुमिरन ते रिपु नासा |*
*नाम शत्रुघ्न वेद प्रकाशा ||*
*26.* रोजगार पाने के लिए
*विश्व भरण पोषण करि जोई |*
*ताकर नाम भरत अस होई ||*
*27.* इच्छा पूरी करने के लिए
*राम सदा सेवक रूचि राखी |*
*वेद पुराण साधु सुर साखी ||*
*28.* पाप विनाश के लिए
*पापी जाकर नाम सुमिरहीं |*
*अति अपार भव भवसागर तरहीं ||*
*29.* अल्प मृत्यु न होने के लिए
*अल्प मृत्यु नहि कबजिहूँ पीरा |*
*सब सुन्दर सब निरूज शरीरा ||*
*30.* दरिद्रता दूर के लिए
*नहि दरिद्र कोऊ दुःखी न दीना |*
*नहि कोऊ अबुध न लक्षण हीना ||*
*31.* प्रभु दर्शन पाने के लिए
*अतिशय प्रीति देख रघुवीरा |*
*प्रकटे ह्रदय हरण भव पीरा ||*
*32.* शोक दूर करने के लिए
*नयन बन्त रघुपतहिं बिलोकी |*
*आए जन्म फल होहिं विशोकी ||*
*33.* क्षमा माँगने के लिए
*अनुचित बहुत कहहूँ अज्ञाता |*
*क्षमहुँ क्षमा मन्दिर दोऊ भ्राता ||*
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