शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

दिल की खिड़की

दिल की खिड़की से बाहर देखो ना कभी
बारिश की बूँदों सा है एहसास मेरा

घनी जुल्फों की गिरह खोलो ना कभी
बहती हवाओं सा है एहसास मेरा

छूकर देखो कभी तो मालूम होगा तुम्हें
सर्दियों की धूप सा है एहसास मेरा ।

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