किसी ने साधारण से दिखने वाले शिक्षक से पूछा - क्या करते हो ??
शिक्षक का सुन्दर जवाब देखिए ।
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सुन्दर सुर सजाने को साज बनाता हूँ ।
नौसिखिये परिंदों को बाज बनाता हूँ ।।
चुपचाप सुनता हूँ शिकायतें सबकी ।
तब दुनिया बदलने की आवाज बनाता हूँ ।।
समंदर तो परखता है हौंसले कश्तियों के ।
और मैं डूबती कश्तियों को जहाज बनाता हूँ ।।
बनाए चाहे चांद पे कोई बुर्ज ए खलीफा ।
अरे मैं तो कच्ची ईंटों से ही ताज बनाता हूँ ।।
ढूँढों मेरा मजहब जाके इन किताबों में ।
मै तो उन्हीं से आरती नमाज बनाता हूँ ।।
न मुझसे सीखने आना कभी जंतर जुगाड़ के ।
अरे मैं तो मेहनत लगन के रिवाज बनाता हूं ।।
नजुमी - ज्योतिषी छोड़ दो तारों को तकना तुम ।
है जो आने वाला कल उसे मैं आज बनाता हूँ ।।
सभी गुरुंजनो को नमन
हमारे साथी शिक्षक श्री मिलिंद बिष्ट, बागेश्वर उत्तराखंड की शानदार कविता है ये।
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