सोमवार, 5 सितंबर 2016

एक शिक्षक

नेता नहीं,एक्टर नहीं, रिश्वत खोर नहीं,
शुक्र है शिक्षक हूँ ,कुछ और नही...

न मैं स्पाइसजेट में घूमने वाला गरीब हूँ,
न मैं किसी पार्टी के  करीब हूँ...

कभी राष्ट्रीयता की बहस में मैं पड़ता नहीं...
मैं जन धन का लूटेरा या टैक्स चोर नहीं,
शुक्र है शिक्षक हूँ कुछ और नहीं...

न मेरे पास मंच पर चिल्लाने का वक्त है ,
न मेरा कोई दोस्त अफज़ल ,याकूब का भक्त है...
न मुझे देश में देश से आज़ादी का अरमान है,
न मुझे 2-4 पोथे पढ़  लेने का गुमान है..
मेरी मौत पर गन्दी राजनीति नहीं, कोई शोर नही,
शुक्र है  शिक्षक  हूँ, कुछ और नही ...

मेरे पास मैडल नही वापस लौटाने को,
नक़ली आँसू भी नही बेवजह बहाने को...
न झूठे वादे हैं, न वादा खिलाफी है,
कुछ देर चैन से सो लूँ इतना ही काफी है...
बेशक खामोश हूँ, मगर कमज़ोर नही,
शुक्र है शिक्षक हूँ कुछ और नही..

मैं और सड़क एक जैसे कहलाते हैं
क्योंकि हम दोनों वहीं रहते है लेकिन सबको मंजिल तक पहुँचाते हैं,
रोज़ वही कक्षा, वही बच्चे, पर होता मैं कभी बोर नहीं,
शुक्र है शिक्षक हूँ ... कुछ और नहीं।
आप सब को समर्पित........

एक शिक्षक

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