मंगलवार, 20 सितंबर 2016

वीर सिपाही देखो !

खून जमाती ठण्ड में भी, सीना ताने खड़े हुए
बदन जलाती गर्मी में भी सीमाओं पर अड़े हुए
बाँध शहादत का सहरा, मृत्यु से ब्याह रचाते हैं
देश के वीर सिपाही देखो ! माँ का कर्ज चुकाते हैं.

बर्फीली वायु हो चाहे, तूफानों ने दी हो चुनौती
चाहे दुश्मन के खेमे से गोली की बौछारें होती
चाहे हो कैसी भी विपदा, पर ये ना घबराते हैं
देश के वीर सिपाही देखो ! माँ का कर्ज चुकाते हैं.

माँ, पत्नी, बच्चों से दूर, राष्ट्र धर्म में रमे हुए
दिल में कितना दर्द ये पाले पर सीमा पर डंटे हुए
अपनी जान गंवाकर भी दुश्मन को धूल चटाते हैं
देश के वीर सिपाही देखो ! माँ का कर्ज चुकाते हैं.

धरती माँ के सच्चे बेटे, सर पर कफ़न बाँध कर बैठे
नींद नहीं उनकी आँखों में ताकि हम सब चैन से लेटे
देश की रक्षा के खातिर वे वीरगति को पाते हैं
देश के वीर सिपाही देखो ! माँ का कर्ज चुकाते हैं.

कुर्बानी वीरों की जीवन कितनो को दे जाती है
उनके रक्त से सिंचित धरती धन्य धन्य हो जाती है.
मौत भी क्या मारेगी उनको, जो मरकर भी जी जाते हैं
देश के वीर सिपाही देखो ! माँ का कर्ज चुकाते हैं.

देख तिरंगा इन वीरों को गर्वित हो लहराता है
भारत माँ का मस्तक भी शान से यूँ इठलाता है
जब-जब सीना ताने ये जीत का बिगुल बजाते हैं
देश के वीर सिपाही देखो ! माँ का कर्ज चुकाते हैं.

इन्हें जन्म देने वाली कोख के अहसानमंद
पत्नी और परिवार के बलिदान को शत-शत नमन
इस अतुल्य त्याग का हम मिलकर गीत गाते हैं
देश के वीर सिपाही देखो ! माँ का कर्ज चुकाते हैं.

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