रविवार, 18 सितंबर 2016

ए “सुबह ”

ए “सुबह ” तुम जब भी आना,
     सब के लिए बस "खुशियाँ" लाना.
हर चेहरे पर “हंसी ” सजाना,
          हर आँगन मैं “फूल ” खिलाना..

जो “रोये ” हैं  इन्हें हँसाना.
               जो “रूठे ” हैं  इन्हें मनाना,
जो “बिछड़े” हैं तुम इन्हें मिलाना.
       प्यारी “सुबह ” तुम जब भी आना,
सब के लिए बस “खुशिया ”ही लाना.

           सुप्रभात
  

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