बुधवार, 14 सितंबर 2016

चंद अशआर

चंद अशआर

ये तस्वीर जो वक्त बनाएगा कभी
रंग दर्द के उसमें सजाएगा कभी

जो मैं तुझ से कह न सका उम्रभर
जमाना वही दास्ताने सुनाएगा कभी

माना कि इश्क है फरेब लेकिन
जीने का  शऊर सिखाएगा कभी

उजाला तो फिर घायल कर गया
अंधेरा ही जख्म सहलाएगा कभी

हिज्र, और वही इंतजार की आदत
यह हुनर बड़ा काम आएगा कभी

यकीन है मुझे मेरी प्यास पर इतना
समंदर कतरे में सिमट जाएगा कभी

रतन सिंह चंपावत

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