शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

सुहागन

कुछ बीज प्रेम के बो जाऊँगी |
मर कर भी अमर मैं हो जाऊँगी |

बैठ गया यदि मैल हृदय में
अपने अंसुअन से धो जाऊँगी

मैं बहुत प्रेम करती हूँ आपसे
आपके प्रेम में मैं खो जाऊँगी

कुछ गीत लिखूंगी आपके लिए ,
और चिर निद्रा में सो जाऊँगी |

भरना मांग जब सजूं चिता पर
मैं सदा सुहागन हो जाऊँगी
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