मंगलवार, 9 मई 2017

जज्बात

*सभी सहेलियों  को समर्पित*

मैं तुमसे बेहतर लिखती हूँ ,
   पर जज्बात तुम्हारे अच्छे हैं !

मैं तुमसे बेहतर दिखती हूँ ,
   पर अदा तुम्हारी अच्छी हैं !

मैं खुश हरदम रहती हूँ ,
   पर मुस्कान तुम्हारी अच्छी हैं !

मैं अपने उसूलों पर चलती हूँ ,
   पर ज़िद तुम्हारी अच्छी हैं !

मैं एक बेहतर शख्सियत हूँ ,
   पर सीरत तुम्हारी अच्छी  हैं

मैं आसमान की चाह रखती हूँ,
   पर उड़ानें तुम्हारी अच्छी हैं !

मैं तुमसे बहुत बहस करती  हूँ ,
   पर दलीलें तुम्हारी अच्छी हैं !

मैं तुमसे बेहतर गाती हूँ ,
   पर धुन तुम्हारी अच्छी हैं !

मैं गज़ल खूब कहती हूँ,
   पर तकरीर तुम्हारी अच्छी हैं !

मैं कितना भी कुछ कहती रहूँ ,
   पर हर बात तुम्हारी अच्छी हैं !

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