*सभी सहेलियों को समर्पित*
मैं तुमसे बेहतर लिखती हूँ ,
पर जज्बात तुम्हारे अच्छे हैं !
मैं तुमसे बेहतर दिखती हूँ ,
पर अदा तुम्हारी अच्छी हैं !
मैं खुश हरदम रहती हूँ ,
पर मुस्कान तुम्हारी अच्छी हैं !
मैं अपने उसूलों पर चलती हूँ ,
पर ज़िद तुम्हारी अच्छी हैं !
मैं एक बेहतर शख्सियत हूँ ,
पर सीरत तुम्हारी अच्छी हैं
मैं आसमान की चाह रखती हूँ,
पर उड़ानें तुम्हारी अच्छी हैं !
मैं तुमसे बहुत बहस करती हूँ ,
पर दलीलें तुम्हारी अच्छी हैं !
मैं तुमसे बेहतर गाती हूँ ,
पर धुन तुम्हारी अच्छी हैं !
मैं गज़ल खूब कहती हूँ,
पर तकरीर तुम्हारी अच्छी हैं !
मैं कितना भी कुछ कहती रहूँ ,
पर हर बात तुम्हारी अच्छी हैं !
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