❤ दिल की देहरी से ..❤
.. कुछ स्पन्दन ..
फलक के सीने पे गर आशियां कोई बनाना है
परों के दम हवाओं को हरा के खुद दिखाना है
दिखाने के लिए परदे यहां लाखों मगर फिर भी
नहीं आसां नजर से खुद की खुद को ही छिपाना है
सुनाता क्या जमाना और दास्तानें रवायत की
शरीफों को शराफत से ही आईना दिखाना है
मिलेंगे अब कहां पर दुश्मनों से खैरख्वाह मुझको
कहूं सच तो तेरी दोस्ती गरज का इक बहाना है
हसीनों ने बताया है हकीमों को इलाज ए गम
दवा हो बेअसर तो दर्द को ही आजमाना है
©©©©©©©©
*CHAMPAWAT*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें