मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

गर्मी

बचपन में देखा कि गर्मी ऊन में होती है...

स्कूल में पता चला गर्मी जून में होती है...

पापा ने बताया, कि गर्मी खून में होती है...

बहुत ज़िंदगी में थपेढ़े खाये तब पता चला कि,
गर्मी ना खून,
ना जून,
ना ऊन में होती है...

जनाब,
गर्मी तो *"जुनून"* में होती है...

शनिवार, 24 दिसंबर 2016

खूबसूरती

खूबसूरती :

हर किसी को अपनी खूबसूरती पर घमण्ड होता है | मै आज
आपको खूबसूरती की परिभाषा बताता हूँ

खूबसूरत है वो लब......
जिन पर, दूसरों के लिए कोई दुआ आ जाए !!

खूबसूरत है ............वो दिल जो ,
किसी के दुख मे शामिल हो जाए !!

खूबसूरत है.......... वो जज़बात जो,
दूसरो की भावनाओं को समझ जाए !!

खूबसूरत है........ वो एहसास जिस मे,
प्यार की मिठास हो जाए !!

खूबसूरत है............. वो बातें जिनमे,
शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से कहानियाँ !!

खूबसूरत है.......... वो आँखे जिनमे,
किसी के खूबसूरत ख्वाब समा जाए !!

खूबसूरत है .........वो हाथ जो
किसी के लिए .मुश्किल के वक्त सहारा बन जाए !!

खूबसूरत है..........वो सोच जिस मैं,
किसी कि सारी...... ख़ुशीछुप जाए !

खूबसूरत है............. .... वो दामन जो,
दुनिया से किसी के गमो को छुपा जाए !

खूबसूरत है.......वो आसूँ जो,
किसी और के गम मे बह जाए

गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

मंदी में पति की लिखी एक कविता अपनी पत्नी को.....

*मंदी में पति की लिखी एक कविता अपनी पत्नी को..........!!!*

प्रिय क्यूँ तुम नए-नए
सूट सिलाती हो !

पुरानी साडी में भी तुम
अप्सरा सी नजर आती हो !!!

इन ब्यूटी पार्लरों के
चक्करों में ना पडा करो !

अपने चांद से चेहरे को
क्रीम पाउडर से यूँ ना ढका करो !!

रेस्टोरेंट होटल के खाने में क्या रखा है !

तुम्हारे हाथों से बना घर का खाना,
इनसे लाख गुना अच्छा है !!!

इन सैर सपाटों में वो बात कहाँ !

तुम्हारे मायके जैसा
ऐशो-आराम कहाँ !!!

नौकरों से खिटपिट में,
मत सेहत तुम अपनी खराब करो !

झाडू-पौछा लगा
हल्का सा व्यायाम करो !!!

सोने-चांदी में मिलती
अब सो सो खोट है !

तुम्हारी सुन्दरता ही
24 कैरेट प्योर गोल्ड है !!!

माया-माया मत किया कर पगली,
यह तो महा ठगिनी है !

मेरे इस घर-आंगन की तो,
तू ही असली धन लक्ष्मी है !!

        *हैप्पी मंदी*

बुधवार, 21 दिसंबर 2016

तलाश

दिल की देहरी से
❤❤ कुछ स्पंदन❤❤
यहां बुझी न बुझी तश्नगी वहाँ मेरी
न जाने ले गई मुझ को तलाश कहाँ मेरी

निगाह की जुम्बिश में बयां हुआ सब कुछ
बड़ी़ अदा से पढ़ी उसने दास्ताँ मेरी

शुमार था उसी का नाम मेरे कातिल में
खुली नहीं फिर भी जाने क्यों जुबॉं मेरी

नज़ाकतें जितनी थी नफ़ासतें  उतनी
नसीहतें  हिज़्ब की थी कि रायगाँ मेरी

चढ़ा सुरूर कुछ ऐसा उसकी चाहत का
रही न सालिम फिर ये जि़स्मों ज़ाँ मेरी
©© *रतनसिंह चम्पावत*

Hum Sab Bharatiya Hain , Hum Sab Bharatiya Hain

Hum Sab Bharatiya Hain , Hum Sab Bharatiya Hain
Apni Manzil Ek Hai , Ha Ha Ha Ek Hai , Ho Ho Ho Ek Hai,
Hum Sab Bharatiya Hain
Kashmir Ki Dharti Rani Hai , Sartaj Himalaya Hai
Sadiyon Se Hamne Isko Apne Khoon Se Pala Hai
Desh Ki Raksha Ki Khatir Hum Shamshir Utha Lenge
Hum Shamshir Utha Lenge
Bikhre Bikhre Tare Hain Hum Lekin Jhilmil Ek Hai
Ha Ha Ha Ha Ek Hai, Hum Sab Bharatiya Hain
Mandir Gurudware Bhi Hain Yahan , Aur Masjid Bhi Hai Yahan
Girija Ka Ghadiyal Kahin , Mulla Ki Kahin Hai Azan
Ek Hi Apna Ram Hai , Ek Hi Allah-Tala Hai
Ek Hi Allah-Tala Hai
Rang –Birange Deepak Hain , Lekin Mahfil Ek Hai
Ha Ha Ha Ek Hai , Ho Ho Ho Ek Hai
Hum Sab Bharatiya Hain , Hum Sab Bharatiya Hain !!

 

रिश्तो के  बाज़ार में..

✳कदम  रुक  गए  जब  पहुंचे
      हम  "रिश्तो" के  बाज़ार में..

✳बिक  रहे  थे  रिश्ते,
       खुले  आम  व्यापार  में..

✳कांपते  होठों  से  मैंने  पूँछा,
      "क्या  "भाव'  है  भाई
       इन  रिश्तों  का..?"

✳ दुकानदार  बोला:-

✳ "कौन  सा  लोगे..?

✳ बेटे  का  ..या  बाप  का..?

✳ बहिन  का..या  भाई  का..?

✳ बोलो  कौन  सा  चाहिए..?

✳ इंसानियत  का..या  प्रेम का..?

✳ माँ   का..या   विश्वास का..?

✳बाबूजी   कुछ  तो   बोलो
      कौन.  सा   चाहिए??

✳चुपचाप   खड़े   हो
       कुछ  बोलो  तो  सही...

✳मैंने  डर  कर  पूँछ  लिया
      "दोस्त  का.."

✳दुकानदार  नम  आँखों  से बोला:-

✳"संसार  इसी  रिश्ते
      पर  ही  तो  टिका  है..."

✳माफ़  करना  बाबूजी
      ये  'रिश्ता बिकाऊ नहीं है..

✳इसका  कोई   मोल
       नहीं   लगा   पाओगे,

✳और.  जिस   दिन
       ये   बिक   जायेगा...

✳उस  दिन  ये  संसार   उजड़ जायेगा.....

✌सभी  मित्रों  को  समर्पित..

शनिवार, 17 दिसंबर 2016

औरतें बेहद अजीब होतीं ह

गुलज़ार द्वारा लिखी किताब 'The longest short story of my life with grace' से एक अंश ....

लोग सच कहते हैं -
औरतें बेहद अजीब होतीं है

रात भर पूरा सोती नहीं
थोड़ा थोड़ा जागती रहतीं है
नींद की स्याही में
उंगलियां डुबो कर
दिन की बही लिखतीं
टटोलती रहतीं है
दरवाजों की कुंडियाॅ
बच्चों की चादर
पति का मन..
और जब जागती हैं सुबह
तो पूरा नहीं जागती
नींद में ही भागतीं है

सच है, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं

हवा की तरह घूमतीं, कभी घर में, कभी बाहर...
टिफिन में रोज़ नयी रखतीं कविताएँ
गमलों में रोज बो देती आशाऐं

पुराने अजीब से गाने गुनगुनातीं
और चल देतीं फिर
एक नये दिन के मुकाबिल
पहन कर फिर वही सीमायें
खुद से दूर हो कर भी
सब के करीब होतीं हैं

औरतें सच में, बेहद अजीब होतीं हैं

कभी कोई ख्वाब पूरा नहीं देखतीं
बीच में ही छोड़ कर देखने लगतीं हैं
चुल्हे पे चढ़ा दूध...

कभी कोई काम पूरा नहीं करतीं
बीच में ही छोड़ कर ढूँढने लगतीं हैं
बच्चों के मोजे, पेन्सिल, किताब
बचपन में खोई गुडिया,
जवानी में खोए पलाश,

मायके में छूट गयी स्टापू की गोटी,
छिपन-छिपाई के ठिकाने
वो छोटी बहन छिप के कहीं रोती...

सहेलियों से लिए-दिये..
या चुकाए गए हिसाब
बच्चों के मोजे, पेन्सिल किताब

खोलती बंद करती खिड़कियाँ
क्या कर रही हो?
सो गयी क्या ?
खाती रहती झिङकियाँ

न शौक से जीती है ,
न ठीक से मरती है
सच है, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं ।

कितनी बार देखी है...
मेकअप लगाये,
चेहरे के नील छिपाए
वो कांस्टेबल लडकी,
वो ब्यूटीशियन,
वो भाभी, वो दीदी...

चप्पल के टूटे स्ट्रैप को
साड़ी के फाल से छिपाती
वो अनुशासन प्रिय टीचर
और कभी दिख ही जाती है
कॉरीडोर में, जल्दी जल्दी चलती,
नाखूनों से सूखा आटा झाडते,

सूखे मौसम में बारिशों को
याद कर के रोतीं हैं
उम्र भर हथेलियों में
तितलियां संजोतीं हैं

और जब एक दिन
बूंदें सचमुच बरस जातीं हैं
हवाएँ सचमुच गुनगुनाती हैं
फिजाएं सचमुच खिलखिलातीं हैं

तो ये सूखे कपड़ों, अचार, पापड़
बच्चों और सारी दुनिया को
भीगने से बचाने को दौड़ जातीं हैं...

सच है, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं ।

खुशी के एक आश्वासन पर
पूरा पूरा जीवन काट देतीं है
अनगिनत खाईयों को
अनगिनत पुलो से पाट देतीं है.

सच है, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं ।

ऐसा कोई करता है क्या?
रस्मों के पहाड़ों, जंगलों में
नदी की तरह बहती...
कोंपल की तरह फूटती...

जिन्दगी की आँख से
दिन रात इस तरह
और कोई झरता है क्या?
ऐसा कोई करता है क्या?

सच मे, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं..
          -गुलज़ार

गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

शब्द

शब्द

शब्द संभाले बोलिए, शब्द के हाथ न पावं....
"एक शब्द करे औषधि, एक शब्द करे घाव....
.
"शब्द सम्भाले बोलियेे, शब्द खीँचते ध्यान....
"शब्द मन घायल करेँ, शब्द बढाते मान...
.
"शब्द मुँह से छूट गया, शब्द न वापस आय.....
"शब्द जो हो प्यार भरा, शब्द ही मन मेँ समाएँ....

"शब्द मेँ है भाव रंग का, शब्द है मान महान....
"शब्द जीवन रुप है, शब्द ही दुनिया जहान...

"शब्द ही कटुता रोप देँ, शब्द ही बैर हटाएं...
"शब्द जोङ देँ टूटे मन, शब्द ही प्यार बढाए ....

मंगलवार, 13 दिसंबर 2016

गर्व


     *अगर भूल से भी कभी आपको*
           *गर्व हो जाये की मेरे बिना तो*
     *यहाँ काम चल ही नहीं सकता..*
           *तब आप अपने घर की दीवारों पर*
     *टंगी अपने पूर्वजों की तस्वीरों की*
           *तरफ देख लेना तथा सोचना की क्या*
     *उनके जाने से कोई काम रुका है...?*
           *जवाब आपको स्वतः ही मिल जायेगा* 
      *चौरासी लाख योनियों में,*
           *एक इंसान ही पैसा कमाता है।*
     *अन्य कोई जीव कभी भूखा नहीं मरा,*
           *और एक इंसान जिसका कभी पेट नहीं भरा !!*

किरदार बुरा है वो इन्सान बुरा है

"मंदिर"में दाना चुगकर चिड़ियां "मस्जिद" में पानी पीती हैं
मैंने सुना है "राधा" की चुनरी
कोई "सलमा"बेगम सीती हैं                        
एक "रफी" था महफिल महफिल "रघुपति राघव" गाता था
एक "प्रेमचंद" बच्चों को
"ईदगाह" सुनाता था
कभी "कन्हैया"की महिमा गाता
"रसखान" सुनाई देता है
औरों को दिखते होंगे "हिन्दू" और "मुसलमान"
मुझे तो हर शख्स के भीतर "इंसान"
दिखाई देता है...
क्योंकि...
ना हिंदू बुरा है ना मुसलमान बुरा है
जिसका किरदार बुरा है वो इन्सान बुरा है. .

एक चेलेंज

बचपन मे 1 रु. की पतंग के पीछे
२ की.मी. तक भागते थे...
न जाने कीतने चोटे लगती थी...

वो पतंग भी हमे बहोत दौड़ाती थी...

आज पता चलता है,
दरअसल वो पतंग नहीं थी;
एक चेलेंज थी...

खुशीओं को हांसिल करने के लिए दौड़ना पड़ता है...
वो दुकानो पे नहीं मिलती...

शायद यही जिंदगी की दौड़ है ...!!!

जब  बचपन  था,  तो  जवानी  एक  ड्रीम  था...
जब  जवान  हुए,  तो  बचपन  एक  ज़माना  था... !!

जब  घर  में  रहते  थे,  आज़ादी  अच्छी  लगती  थी...

आज  आज़ादी  है,  फिर  भी  घर  जाने  की   जल्दी  रहती  है... !!

कभी  होटल  में  जाना  पिज़्ज़ा,  बर्गर  खाना  पसंद  था...

आज  घर  पर  आना  और  माँ  के  हाथ  का  खाना  पसंद  है... !!!

स्कूल  में  जिनके  साथ  ज़गड़ते  थे,  आज  उनको  ही  इंटरनेट  पे  तलाशते  है... !!

ख़ुशी  किसमे  होतीं है,  ये  पता  अब  चला  है...
बचपन  क्या  था,  इसका  एहसास  अब  हुआ  है...

काश  बदल  सकते  हम  ज़िंदगी  के  कुछ  साल..

.काश  जी  सकते  हम,  ज़िंदगी  फिर  एक  बार...!!

जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे
और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने
अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिए
|

✏जब हमारे पास चार रंगों से लिखने
वाली एक पेन हुआ करती थी और हम
सभी के बटन को एक साथ दबाने
की कोशिश किया करते थे |❤

जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे
ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके..

जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते
थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |

सोचा करते थे की ये चाँद
हमारी साइकिल के पीछे पीछे
क्यों चल रहा हैं |

On/Off वाले स्विच को बीच में
अटकाने की कोशिश किया करते थे |

फल के बीज को इस डर से नहीं खाते
थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |

बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे
ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |

फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने
की कोशिश करते थे की इसकी लाइट
कब बंद होती हैं |

  सच , बचपन में सोचते हम बड़े
क्यों नहीं हो रहे ?

और अब सोचते हम बड़े क्यों हो गए ?⚡⚡

ये दौलत भी ले लो..ये शोहरत भी ले लो

भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...

मगर मुझको लौटा दो बचपन
का सावन ....☔

वो कागज़
की कश्ती वो बारिश का पानी..
Bachpan ki storyes

                 Old hits
 

बचपन कि ये लाइन्स .
जिन्हे हम दिल से गाते
गुनगुनाते थे ..
और खेल खेलते थे ..!!
तो याद ताज़ा कर लीजिये ...!!

▶  मछली जल की रानी है,
       जीवन उसका पानी है।
       हाथ लगाओ डर जायेगी
       बाहर निकालो मर जायेगी।

***********

▶  आलू-कचालू बेटा कहाँ गये थे,
       बन्दर की झोपडी मे सो रहे थे।
       बन्दर ने लात मारी रो रहे थे,
       मम्मी ने पैसे दिये हंस रहे थे।

************

▶  आज सोमवार है,
       चूहे को बुखार है।
       चूहा गया डाक्टर के पास,
       डाक्टर ने लगायी सुई,
       चूहा बोला उईईईईई।

**********

▶  झूठ बोलना पाप है,
       नदी किनारे सांप है।
       काली माई आयेगी,
       तुमको उठा ले जायेगी।

**********

▶  चन्दा मामा दूर के,
       पूए पकाये भूर के।
       आप खाएं थाली मे,
       मुन्ने को दे प्याली में।

**********

▶  तितली उड़ी,
       बस मे चढी।
       सीट ना मिली,
       तो रोने लगी।
       ड्राईवर बोला,
       आजा मेरे पास,
       तितली बोली ” हट बदमाश “।

****************

▶  मोटू सेठ,
       पलंग पर लेट ,
       गाडी आई,
       फट गया पेट

******************

आज सब अपना बचपन याद करो और अपने मित्र
को send kare```

सलीक़ा

कुए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है,
तो भरकर बाहर आती 

जीवन का भी यही गणित है,
जो झुकता है वह
प्राप्त करता है…

जीवन में किसी का भला करोगे,
तो लाभ होगा…
क्योंकि भला का उल्टा लाभ होता है ।

और

जीवन में किसी पर दया करोगे,
तो वो याद करेगा…
क्योंकि दया का उल्टा याद होता है।

भरी जेब ने ‘ दुनिया ‘ की पहेचान करवाई और खाली जेब ने ‘ इन्सानो ‘ की.

जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,
शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,

अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती हैl

किनारे पर तैरने वाली लाश को देखकर ये समझ आया ..
..बोझ शरीर का नही साँसों का था..

सर झुकाने से नमाज़ें अदा नहीं होती…!!!
दिल झुकाना पड़ता है इबादत के लिए…

पहले मैं होशियार था,
इसलिए दुनिया बदलने चला था,
आज मैं समझदार हूँ,
इसलिए खुद को बदल रहा हूँ.

बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर…
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है.

मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना.

〰➰➰〰➰➰〰
               प्रेम चाहिये तो
       समर्पण खर्च करना होगा।
            विश्वास चाहिये तो
        निष्ठा खर्च करनी होगी।
              साथ चाहिये तो
        समय खर्च करना होगा।
            किसने कहा रिश्ते
               मुफ्त मिलते हैं ।
    मुफ्त तो  हवा भी नहीं मिलती
       एक साँस भी तब आती है
    जब एक  साँस छोड़ी जाती हे
〰➰➰〰➰➰〰……

शपथ

*सत्य को कहने के लिए किसी,*
          *शपथ की जरूरत नहीं होती।*

*नदियों को बहने के लिए किसी,*
          *पथ की जरूरत नहीं होती।*

*जो बढ़ते हैं जमाने में,*
          *अपने मजबूत इरादों के बल,*

*उन्हें अपनी मंजिल पाने के लिए,*
          *किसी रथ की जरूरत नहीं होती।*

खवाहिश  नही  मुझे  मशहूर  होने  की

_*हरिवंशराय बच्चन की एक सुंदर कविता*_ ...

*Really heart touchings*

*खवाहिश  नही  मुझे  मशहूर  होने  की*।
*आप  मुझे  पहचानते  हो  बस  इतना  ही  काफी  है*।

*अच्छे  ने  अच्छा  और  बुरे  ने  बुरा  जाना  मुझे*।
*क्यों  कि  जिसकी  जितनी  जरुरत  थी  उसने  उतना  ही  पहचाना  मुझे*।

*ज़िन्दगी  का  फ़लसफ़ा  भी   कितना  अजीब  है*,
*शामें  कटती  नहीं,  और  साल  गुज़रते  चले  जा  रहे  हैं*....!!

*एक  अजीब  सी  दौड़  है  ये  ज़िन्दगी*,
*जीत  जाओ  तो  कई  अपने  पीछे  छूट  जाते  हैं*,
*और  हार  जाओ  तो  अपने  ही  पीछे  छोड़  जाते  हैं*।

*बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर*...
*क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है*..

*मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा*,
*चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना*।।

*ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है*
*पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है*

*जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने*
*न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले* .!!.

*एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली*..
*वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे*..!!

*सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से*..
*पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला* !!!

*सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब*....
*बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता*

*जीवन की भाग-दौड़ में*
*क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है* ?
*हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है*..

*एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम और*
*आज कई बार बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है*..

*कितने दूर निकल गए*,
*रिश्तो को निभाते निभाते*..
*खुद को खो दिया हमने, अपनों को पाते पाते*..

*लोग कहते है हम मुस्कुराते बहोत है*,
*और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते*..

*खुश* *हूँ और* *सबको खुश* *रखता हूँ*,
*लापरवाह* *हूँ फिर भी सबकी परवाह*
*करता हूँ*..

*मालूम है कोई मोल नहीं मेरा, फिर भी*,
*कुछ अनमोल लोगो से रिश्ता रखता हूँ*...!..

शनिवार, 10 दिसंबर 2016

कभी पाया नहीं

*Really Very Nice*
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जो चाहा
कभी पाया नहीं,

जो पाया
कभी सोचा नहीं,

जो सोचा
कभी मिला नहीं,

जो मिला
रास आया नहीं,

जो खोया
वो याद आता है,

पर जो पाया
संभाला जाता नहीं ,

क्यों
अजीब सी पहेली है ज़िन्दगी,

जिसको
कोई सुलझा पाता नहीं...

जीवन में
कभी समझौता करना पड़े
तो कोई बड़ी बात नहीं है,

क्योंकि,

झुकता वही है
जिसमें जान होती है,

अकड़ तो
मुरदे की पहचान होती है।

ज़िन्दगी जीने के
दो तरीके होते है!

पहला:
जो पसंद है
उसे हासिल करना सीख लो.!

दूसरा:
जो हासिल है
उसे पसंद करना सीख लो.!

जिंदगी जीना
आसान नहीं होता;

बिना संघर्ष
कोई महान नहीं होता.!

जिंदगी
बहुत कुछ सिखाती है;

कभी हंसती है
तो कभी रुलाती है;

पर जो हर हाल में खुश रहते हैं;

जिंदगी उनके आगे
सर झुकाती है।

चेहरे की हंसी से
हर गम चुराओ;

बहुत कुछ बोलो
पर कुछ ना छुपाओ;

खुद ना रूठो कभी
पर सबको मनाओ;

राज़ है ये जिंदगी का
बस जीते चले जाओ।

"गुजरी हुई जिंदगी
कभी याद न कर,

तकदीर मे जो लिखा है
उसकी फर्याद न कर...

जो होगा वो होकर रहेगा,

तु कल की फिकर मे
अपनी आज की हसी
बर्बाद न कर...

हंस मरते हुये भी गाता है
और मोर नाचते हुये भी
रोता है....

ये जिंदगी का फंडा है बॉस

दुखो वाली रात
निंद नही आती

और खुशी वाली रात
कौन सोता है...
         
ईश्वर का दिया
कभी अल्प नहीं होता;

जो टूट जाये
वो संकल्प नहीं होता;

हार को
लक्ष्य से दूर ही रखना;

क्योंकि जीत का
कोई विकल्प नहीं होता।
          
जिंदगी में दो चीज़ें
हमेशा टूटने के लिए ही होती हैं :

"सांस और साथ"

सांस टूटने से तो
इंसान 1 ही बार मरता है;

पर किसी का साथ टूटने से
इंसान पल-पल मरता है।
          
जीवन का
सबसे बड़ा अपराध -

किसी की आँख में आंसू
आपकी वजह से होना।

और जीवन की
सबसे बड़ी उपलब्धि -

किसी की आँख में आंसू
आपके लिए होना।
           
जिंदगी जीना
आसान नहीं होता;

बिना संघर्ष
कोई महान नहीं होता;

जब तक न पड़े
हथोड़े की चोट;

पत्थर भी
भगवान नहीं होता।
          
जरुरत के मुताबिक जिंदगी जिओ
ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं।,

क्योंकि जरुरत तो
फकीरों की भी पूरी हो जाती है;

और ख्वाहिशें बादशाहों की भी
अधूरी रह जाती है।
         

मनुष्य सुबह से शाम तक
काम करके उतना नहीं थकता;

जितना क्रोध और चिंता से
एक क्षण में थक जाता है।
           
दुनिया में
कोई भी चीज़ अपने आपके लिए
नहीं बनी है।

जैसे: दरिया
खुद अपना पानी नहीं पीता।

पेड़ -
खुद अपना फल नहीं खाते।

सूरज -
अपने लिए हररात नहीं देता।

फूल -
अपनी खुशबु
अपने लिए नहीं बिखेरते।

मालूम है क्यों?

क्योंकि दूसरों के लिए ही
जीना ही असली जिंदगी है।
          
मांगो
तो अपने रब से मांगो;

जो दे तो रहमत
और न दे तो किस्मत;

लेकिन दुनिया से
हरगिज़ मत माँगना;

क्योंकि दे तो एहसान
और न दे तो शर्मिंदगी।
          
कभी भी
'कामयाबी' को दिमाग

और 'नकामी' को दिल में
जगह नहीं देनी चाहिए।

क्योंकि,

कामयाबी
दिमाग में घमंड
और नकामी दिल में
मायूसी पैदा करती है।
          
कौन देता है
उम्र भर का सहारा।,

लोग तो जनाज़े में भी
कंधे बदलते रहते हैं।
          
कोई व्यक्ति
कितना ही महान क्यों न हो,

आंखे मूंदकर
उसके पीछे न चलिए।

यदि ईश्वर की
ऐसी ही मंशा होती
तो वह हर प्राणी को
आंख,
नाक,
कान,
मुंह,
मस्तिष्क आदि क्यों देता?

अच्छा लगा तो
share जरुर करे !

Nice Lines

पानी से
तस्वीर कहा बनती है,

ख्वाबों से
तकदीर कहा बनती है,

किसी भी रिश्ते को
सच्चे दिल से निभाओ,

ये जिंदगी
फिर वापस कहा मिलती है,

कौन किस से
चाहकर दूर होता है,

हर कोई अपने हालातों से
मजबूर होता है,

हम तो
बस इतना जानते है,

हर रिश्ता "मोती"
और हर दोस्त
"कोहिनूर" होता है।

नैननि पिय मूरति बसै,

नैननि पिय मूरति बसै, तेहि रस रहै समाय
ये लच्छन सुनि प्रेम के, और न कछु सुहाय
और न कछु सुहाय, फिरै अपनौ मदमातौ
कुटुम्ब देह सों जाइ, टूटि सबहि बिधि नातौ
जहँ जहँ पिय की बात सुनै, खोजत तिन गैननि
छिन छिन प्रति ध्रुव लेत प्रेम जल भरि भरि नैननि
कहा कहौं गति प्रेम की, बढ़ी चाह की पीर
लोचन भूखे रुप के, भरि भरि ढारत नीर

पाब्लो नेरुदा की कविता "You start dying slowly" का हिन्दी अनुवाद......

नोबेल पुरस्कार विजेता स्पेनिश कवि पाब्लो नेरुदा की कविता
"You start dying slowly" का हिन्दी अनुवाद......

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं ,
अगर आप करते नहीं कोई यात्रा ,
अगर आप पढ़ते नहीं कोई किताब ,
अगर आप सुनते नहीं जीवन की ध्वनियाँ ,
अगर आप करते नहीं किसी की तारीफ़,

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं .
जब आप मार डालते हैं अपना स्वाभिमान ,
जब आप नहीं करने देते मदद अपनी,
न करते हैं मदद दूसरों की,

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं .
अगर आप बन जाते हैं गुलाम अपनी आदतों के,
चलते हैं रोज़ उन्हीं रोज़ वाले रास्तों पे,
अगर आप नहीं बदलते हैं अपना दैनिक नियम व्यवहार ,
अगर आप नहीं पहनते हैं अलग अलग रंग,
या आप नहीं बात करते उनसे जो हैं अजनबी अनजान,

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं .
अगर आप नहीं महसूस करना चाहते आवेगों को,
और उनसे जुड़ी अशांत भावनाओं को ,
वे जिनसे नम होती हों आपकी आँखें ,
और करती हों तेज़ आपकी धड़कनों को ,

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं .
अगर आप नहीं बदल सकते हों अपनी ज़िन्दगी को
जब हों आप असंतुष्ट अपने काम  और परिणाम से,
अगर आप अनिश्चित के लिए नहीं छोड़ सकते हों निश्चित को ,
अगर आप नहीं करते हों पीछा किसी स्वप्न का ,
अगर आप नहीं देते हों इजाज़त खुद को
अपने जीवन में कम से कम एक बार
किसी समझदार सलाह से दूर भाग जाने की ...

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं...✍

महादेवी वर्मा* की सुंदर पंक्तिया

*महादेवी वर्मा* की सुंदर पंक्तियाँ

आ गए तुम?
द्वार खुला है, अंदर आओ..!

पर तनिक ठहरो..
*ड्योढी पर पड़े पायदान पर,*
*अपना अहं झाड़ आना..!*

मधुमालती लिपटी है मुंडेर से,
*अपनी नाराज़गी वहीँ उड़ेल आना..!*

तुलसी के क्यारे में,
*मन की चटकन चढ़ा आना..!*

*अपनी व्यस्ततायें,*बाहर खूंटी पर ही *टांग आना..!*

जूतों संग, *हर नकारात्मकता उतार आना..!*

बाहर किलोलते बच्चों से,
*थोड़ी शरारत माँग लाना..!*

वो गुलाब के गमले में,
*मुस्कान लगी है..*
*तोड़ कर पहन आना..!*

लाओ, *अपनी उलझनें मुझे थमा दो..*
तुम्हारी थकान पर, *मनुहारों का पँखा झुला दूँ..!*

*देखो, शाम बिछाई है मैंने,*

*सूरज क्षितिज पर बाँधा है,*

*लाली छिड़की है नभ पर..!*

*प्रेम और विश्वास की मद्धम  आंच पर,* चाय चढ़ाई है,

घूँट घूँट पीना..!
*सुनो, इतना मुश्किल भी नहीं हैं जीना...*