बुधवार, 14 सितंबर 2016

राधा की चुनरी

मंदिर में दाना चुगकर चिड़ियां
मस्जिद में पानी पीती हैं

मैंने सुना है राधा की चुनरी
कोई सलमा बेगम सीती हैं

एक रफी था महफिल महफिल
रघुपति राघव गाता था

एक प्रेमचंद बच्चों को
'ईदगाह' सुनाता था

कभी कन्हैया की महिमा गाता
रसखान सुनाई देता है

औरों को दिखते होंगे हिन्दू ओ मुसलमां
मुझे तो हर शख्स के भीतर इन्सान
दिखाई देता है......    

चंद अशआर

चंद अशआर

ये तस्वीर जो वक्त बनाएगा कभी
रंग दर्द के उसमें सजाएगा कभी

जो मैं तुझ से कह न सका उम्रभर
जमाना वही दास्ताने सुनाएगा कभी

माना कि इश्क है फरेब लेकिन
जीने का  शऊर सिखाएगा कभी

उजाला तो फिर घायल कर गया
अंधेरा ही जख्म सहलाएगा कभी

हिज्र, और वही इंतजार की आदत
यह हुनर बड़ा काम आएगा कभी

यकीन है मुझे मेरी प्यास पर इतना
समंदर कतरे में सिमट जाएगा कभी

रतन सिंह चंपावत

रविवार, 11 सितंबर 2016

मोहब्बत की तलब


                 मेरे ईश्वर
      किस्मत पर नाज़ है तो वजह
                 तेरी रहमत..
       खुशियां जो पास है तो वजह
                  तेरी रहमत..
         मेरे अपने मेरे साथ है तो
            वजह तेरी रहमत...
        मैं तुझसे मोहब्बत की तलब
               कैसे न करूँ....
       चलती जो ये सांस है तो वजह
               तेरी रहमत.

    

एक कदम...एक स्पर्श...

किसी से नाराज हो जाओ तो बस इतने
फासले पर ही होना जो -
एक कदम...
एक स्पर्श....
एक मुस्कुराहट...
एक आंसू.....
एक शब्द
या
प्रेम से भरी एक नजर से सब कुछ
भूल कर वापस और सम्बन्ध सोहाद्र-पूर्ण हो जाए।
जीवन का क्या भरोसा,
ना जाने कौनसी साँस आख़री हो।
हम क्या साथ लाए थे और साथ क्या ले जाएंगे!
इसीलिए सारी कड़वाहटों को यहीं मिटाना है और
अच्छी यादों के साथ निकल जाना है।!!

मिट्टी के शहज़ादों को लौह परी चाहिए

मिट्टी के शहज़ादों को लौह परी चाहिए
देखने सुनने में मदभरी चाहिए,
घर बाहर के कामों में कड़ी चाहिए,
मिट्टी के शहज़ादों को लौह परी चाहिए

एक ही पल में वो बचपने को छोड़ के,
हर जरूरत का खयाल हर एक की रखे,
वक्त पड़े तो माँ ,बहन,देवी भी हो सके,
उम्र में हो छोटी पर 'बड़ी' चाहिए,
मिट्टी के शहज़ादों को लौह परी चाहिए

घर के कोने-कोने को संभाल कर रखे,
बाहर के कामों में भी वो कमाल कर सके,
मुसीबतों में हो सके तो ढाल बन सके,
हर एक चुनौतियों में वो खरी चाहिए,
मिट्टी के शहज़ादों को लौह परी चाहिए

फाइव स्टार जैसा खाना बना सके
घर का इंटीरियर भी चुटकियों में सजा सके
उसपे ये भी है कि वो पैसे बचा सके,
चाँदनी में धूप सुनहरी चाहिए,
मिट्टी के शहज़ादों को लौह परी चाहिए

लुक्स में हो स्मार्ट ऐजुकेशन भी हाई हो,
नौकरी करे और मोटी कमाई हो,
घर में आके काम में जुटी सी बाई हो,
उस पे मुस्कुराती हर घड़ी चाहिए,
मिट्टी के शहज़ादों को लौह परी चाहिए

बुधवार, 7 सितंबर 2016

खाली

पेट खाली है
और
........ *योग* करवाया जा रहा है,

*जेब खाली*
और
....... *खाता* खुलवाया जा रहा है,

रहने का *घर नहीं*
और
....... *शौचालय* बनवाया जा रहा है.

गाँव मे *बिजली नही*
और
... *डिजिटल India* बन रहा है.

कंपनीया सारी *विदेशी*
और
........मेक इन *India* कर रहा है.

जाति कि *गंदगी दिमाग मे* है
और
..... *स्वच्छ भारत* अभियान चल रहा है.

*आटा* दिनो दिन महंगा हो रहा है,
और
....... *डाटा* सस्ता कर रहे है.

*सचमुच देश बदल रहा है.....!!!*

✍✍

शिक्षक का सुन्दर जवाब

किसी ने साधारण से दिखने वाले शिक्षक से पूछा - क्या करते हो ??

शिक्षक का सुन्दर जवाब देखिए ।

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सुन्दर सुर सजाने को साज बनाता हूँ ।
नौसिखिये परिंदों को बाज बनाता हूँ ।।

चुपचाप सुनता हूँ शिकायतें सबकी ।
तब दुनिया बदलने की आवाज बनाता हूँ ।।

समंदर तो परखता है हौंसले कश्तियों के ।
और मैं डूबती कश्तियों को जहाज बनाता हूँ ।।

बनाए चाहे चांद पे कोई बुर्ज ए खलीफा ।
अरे मैं तो कच्ची ईंटों से ही ताज बनाता हूँ ।।

ढूँढों मेरा मजहब जाके इन किताबों में ।
मै तो उन्हीं से आरती नमाज बनाता हूँ ।।

न मुझसे सीखने आना कभी जंतर जुगाड़ के ।
अरे मैं तो मेहनत लगन के रिवाज बनाता हूं ।।

नजुमी - ज्योतिषी छोड़ दो तारों को तकना तुम ।
है जो आने वाला कल उसे मैं आज बनाता हूँ ।।
सभी गुरुंजनो को नमन

सोमवार, 5 सितंबर 2016

औरत का सफर

औरत का सफर

बाबुल का घर छोड़ कर पिया के घर आती है..

एक लड़की जब शादी कर औरत बन जाती है..

अपनों से नाता तोड़कर किसी गैर को अपनाती है..

☺अपनी ख्वाहिशों को जलाकर किसी और के सपने सजाती है..

☺सुबह सवेरे जागकर सबके लिए चाय बनाती है..

नहा धोकर फिर सबके लिए नाश्ता बनाती है..

☺पति को विदा कर बच्चों का टिफिन सजाती है..

झाडू पोछा निपटा कर कपड़ों पर जुट जाती है..

पता ही नही चलता कब सुबह से दोपहर हो जाती है..

☺फिर से सबका खाना बनाने किचन में जुट जाती है..

☺सास ससुर को खाना परोस स्कूल से बच्चों को लाती है..

बच्चों संग हंसते हंसते खाना खाती और खिलाती है..

☺फिर बच्चों को टयूशन छोड़,थैला थाम बाजार जाती है..

☺घर के अनगिनत काम कुछ देर में निपटाकर आती है..

पता ही नही चलता कब दोपहर से शाम हो जाती है..

सास ससुर की चाय बनाकर फिर से चौके में जुट जाती है..

☺खाना पीना निपटाकर फिर बर्तनों पर जुट जाती है..

सबको सुलाकर सुबह उठने को फिर से वो सो जाती है..

हैरान हूं दोस्तों ये देखकर सौलह घंटे ड्यूटी बजाती है..

फिर भी एक पैसे की पगार नही पाती है..

ना जाने क्यूं दुनिया उस औरत का मजाक उडाती है..

ना जाने क्यूं दुनिया उस औरत पर चुटकुले बनाती है..

जो पत्नी मां बहन बेटी ना जाने कितने रिश्ते निभाती है..

सबके आंसू पोंछती है लेकिन खुद के आंसू छुपाती है..

*नमन है मेरा घर की उस लक्ष्मी को जो घर को स्वर्ग बनाती है..☺*

*☺ड़ोली में बैठकर आती है और अर्थी पर लेटकर जाती है..*

एक शिक्षक

नेता नहीं,एक्टर नहीं, रिश्वत खोर नहीं,
शुक्र है शिक्षक हूँ ,कुछ और नही...

न मैं स्पाइसजेट में घूमने वाला गरीब हूँ,
न मैं किसी पार्टी के  करीब हूँ...

कभी राष्ट्रीयता की बहस में मैं पड़ता नहीं...
मैं जन धन का लूटेरा या टैक्स चोर नहीं,
शुक्र है शिक्षक हूँ कुछ और नहीं...

न मेरे पास मंच पर चिल्लाने का वक्त है ,
न मेरा कोई दोस्त अफज़ल ,याकूब का भक्त है...
न मुझे देश में देश से आज़ादी का अरमान है,
न मुझे 2-4 पोथे पढ़  लेने का गुमान है..
मेरी मौत पर गन्दी राजनीति नहीं, कोई शोर नही,
शुक्र है  शिक्षक  हूँ, कुछ और नही ...

मेरे पास मैडल नही वापस लौटाने को,
नक़ली आँसू भी नही बेवजह बहाने को...
न झूठे वादे हैं, न वादा खिलाफी है,
कुछ देर चैन से सो लूँ इतना ही काफी है...
बेशक खामोश हूँ, मगर कमज़ोर नही,
शुक्र है शिक्षक हूँ कुछ और नही..

मैं और सड़क एक जैसे कहलाते हैं
क्योंकि हम दोनों वहीं रहते है लेकिन सबको मंजिल तक पहुँचाते हैं,
रोज़ वही कक्षा, वही बच्चे, पर होता मैं कभी बोर नहीं,
शुक्र है शिक्षक हूँ ... कुछ और नहीं।
आप सब को समर्पित........

एक शिक्षक