मेरी गजल
प्रेम का रिश्ता मनाना हो गया।
मुस्कुराये इक जम़ाना हो गया।
चुप हुए तो लोग कहने यूं लगे
हर तरीका अब बहाना हो गया।
चल रहे थे साथ बनकर साज से
जब सजी यादें तराना हो गया।
बिन कहे जज्बात भी कहने लगा
आज ये बच्चा सयाना हो गया।
कर रही हूँ गलतियां उनकी नजर
आज 'दीपा' फिर फसाना हो गया ।
दीपा परिहार
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