रविवार, 29 जनवरी 2017

सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती

एक कवि ने क्या खूब लिखा है:-

सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती,
महज़ मुस्कराने से,

फिर भी बाज नही आते लोग,
मुँह फुलाने से ।

ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है ,
जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये।

ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहिये।

मंजिल तुमसे दूर नहीं

पावों में यदि जान हो तो

मंजिल तुमसे दूर नहीं।

आँखों में यदि पहचान हो, तो
                   
इंसान तुमसे दूर नहीं।

दिल में यदि स्थान हो तो
                    
अपने तुमसे दूर नहीं।

भावना में यदि जान हो, तो
                   
भगवान तुमसे दूर नहीं।

एक सच्चाई और

परिवार के मालिक नही,माली बनकर रहो

जीवन खुशियों से हरा भरा रहेगा...

 

पद्मिनी का प्रेम

*पद्मिनी का प्रेम*
- *डॉ. गजादान चारण 'शक्तिसुत'*

सुंदरता खुद जिससे मिलकर, सुंदरतम हो आई थी।
जिसके मन मंदिर में अपने, पिय की शक्ल समाई थी।

शील, पतिव्रत की दुनिया को, जिसने सीख सिखाई थी।
जौहर की ज्वाला में जलकर, जिसने जान लुटाई थी।

सदियों के गौरव को जिसने, अम्बर तक पहुंचाया था।
स्वाभिमान को शक्ति देकर, खिलजी से भिड़वाया था।

जीते जी राणा को चाहा, और चाह ना उसकी थी।
सत-पथ पे चलती थी हरदम, सत पे जीती मरती थी।

चित्तौड़ दुर्ग की वह महारानी, रति से सुंदर दिखती थीं।
उर्वशी, रम्भा सी परियां, नहीं एक पल टिकती थीं।

कामदेव भी जिसे देखकर, विचलित सा हो जाता था।
अलाउद्दीन खिलजी उसको ही, हुरम बनाना चाहता था।

पर वो राजपूत की बेटी, प्रण की बड़ी पुजारी थी।
पति के सिवा उसे दुनिया में, कोई चीज न प्यारी थी।

खिलजी की तो उस पदमण पर, परछाई भी नहीं पड़ी।
लाज बचाने के खातिर वो, अग्निकुंड में कूद पड़ी।

मर के अमर हुई महारानी, तीर्थ बनी चित्तौड़ धरा।
उज्ज्वल क्षत्री वंश हुआ और राजस्थानी वसुंधरा।

उसको कामी खिलजी की ये, आज प्रेमिका कहते हैं।
हैरत है ये अर्थपुजारी, इस भारत में रहते हैं।

जिनका धर्म इमां पैसा है, वे क्या जाने मर्यादा।
पैसा लेकर जहां प्यार को, कर लेते आधा आधा।

राजस्थानी कुल-कानी को, समझे ऐसी सोच कहाँ।
प्रगतिवाद के इन पुतलों में, मानवता का लोच कहाँ।

गर इतिहास हुआ खंडित तो, पीछे कुछ ना बच पाएगा।!!
संस्कृति का अमृत निर्झर, जहर सना हो जाएगा।

हर गौरव की थाती को ये, मनोविनोदी ले लेंगे।
और उसे विकृत कर करके, फिल्मकहानी गढ़ लेंगे।

अब पानी सर पर है आया, उठ पतवार संभालो तुम।
डूब न जाए अर्थ-समंद में, ये इतिहास बचालो तुम।

मेरे भारत के युवाओ! इक रानी की बात नहीं।
पद्मिनी हो या जोधा को, फिल्माने की बात नहीं।

बात सिर्फ है स्वाभिमान की, सत्य सनातन वो ज्योती।
उसपे घात करे कोई तो, हमसे सहन नहीं होती।
डॉ. गजादान चारण 'शक्तिसुत'

शनिवार, 28 जनवरी 2017

अपनी गृहस्थी को कुछ इस तरह बचा लिया करो

अपनी गृहस्थी को कुछ
इस तरह बचा लिया करो
कभी आँखें दिखा दी
कभी सर झुका लिया करो

आपसी नाराज़गी को लम्बा
चलने ही न दिया करो
वो न भी हंसें तो
तुम मुस्करा दिया करो

रूठ कर बैठे रहने से
घर भला कहाँ चलते हैं
कभी उन्होंने गुदगुदा दिया
कभी तुम मना लिया करो

खाने पीने पे विवाद
कभी होने ही  न दिया करो
कभी गरम खा ली
कभी बासी से काम चला लिया करो

मीयां हो या बीबी
महत्व में कोई भी कम नहीं
कभी खुद डॉन बन गए
तो कभी उन्हें बॉस बना दिया करो

अपनी गृहस्थी को कुछ
इस तरह बचा लिया करो...

Dedicated to  All Couples

शनिवार, 14 जनवरी 2017

ज़िन्दगी से प्यार कर


.............*ग़ज़ल*.............

ज़िन्दगी से प्यार कर
खुशियों को शुमार कर
            .........
दिल पराया.ही सही
ग़म अपना अख़्तियार कर
            ..........
है यही तो ज़िन्दगी
खुद को सोग़वार कर
            ...........
हैं सुख़न तल्ख मगर
सच का ऐतबार कर
            .........
मंजिलों का साथ पा
राह को पुरख़ार कर
            .........
मंजिल नहीं ये आस्मां
ज़रा आस्मां को पार कर
           ..........
और नज़र में ताब ला
देख फिर दिदार कर
          ........
जी से *जुनैद* जी तो ले
फिर मौत का इन्तज़ार कर
...........................
*जुनैद अख़्तर*

............................

लंगूर

नौ मईना भार्यां मरी, फोगट घमायो नूर।
हमीद कलाम तूँ ना जण्यो, जलम्यो छे तैमूर।।
गई आबरू पीहर री, दादे रो गरूर ।
रह जाती तुन बाँझड़ी, आछो जायो लंगूर।।

वतन हिन्द में

वतन हिन्द में विसहत्थी  ,
अमन राखियो आप. !!
सुख में जन रहवे सदा  ,
परगळ तव परताप. !!1!!

सौरभ हुवे संसार में. ,
भारत तणी ज भल्ल. !!
आप दया सूं ईसरी. ,
आवे नाम अवल्ल. !!2!!

चमन महक्के चौगुणों  ,
हद जुग में हिंदवांण. !!
वसुधा में ख्याति वधो. ,
परम्म नाम प्रमाण. !!3!!

गूंजै वातां ज्ञान री. ,
हिन्द तणीह हमेश. !!
भारत ओ हौवे भलां. ,
दुनिया चावो देश. !!4!!

ज्ञान विज्ञान'र गणित ही  ,
भौतिक साहित भल्ल. !!
सहु विद्या में हो सदा  ,
गजब हिन्द री गल्ल. !!5!!

नेक नीयत'र नेहवत  ,
सदाचार की शान. !!
सदा हुवे संसार में  ,
मेरो देश महान. !!6!!

प्रजा रेहसी प्रेम सूं. ,
द्वेष राग कर दूर. !!
जद ओ सघळा जांणजो  ,
मुलक हिन्द मशहूर  !!7!!

हिन्दु मुसलीम हेत री. ,
गजब बहावे गंग. !!
देखे उन्नति देश की. ,
दुनिया होवे दंग. !!8!!

सुक्ख अमन रे साथ में  ,
हरदम रहणो होय  !!
मिसरी दुध रे ज्युं.मिळे ,
सदा रहीजो सोय. !!9!!

राजनेता ज राज में ,
भुंडी रखै नह भ्रांत. !!
तरक्की हुय भारत तणी  ,
परम सुखी सब प्रांत. !!10!!

हिन्दु मुसलीम रा हुवै  ,
भला ज मन रा भाव. !!
करनल इण हित कारणें. ,
आप दया कर आव. !!11!!

गळी नगर हर गांव में. ,
सुखी रहे जन सोय. !!
देवी भारत देश री. ,
हरदम ख्याति होय. !!12!!
मीठा मीर डभाल

आदमी की औकात

बिलकुल सत्य दोहा है ।

एक माचिस की तिल्ली,
एक घी का लोटा,
लकड़ियों के ढेर पे
कुछ घण्टे में राख.....
बस इतनी-सी है
*आदमी की औकात !!!!*

एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया ,
अपनी सारी ज़िन्दगी ,
परिवार के नाम कर गया।
कहीं रोने की सुगबुगाहट  ,
तो कहीं फुसफुसाहट ,
....अरे जल्दी ले जाओ
कौन रखेगा सारी रात...
बस इतनी-सी है
*आदमी की औकात!!!!*

मरने के बाद नीचे देखा ,
नज़ारे नज़र आ रहे थे,
मेरी मौत पे .....
कुछ लोग ज़बरदस्त,
तो कुछ  ज़बरदस्ती
रो रहे थे।
नहीं रहा.. ........चला गया..........
चार दिन करेंगे बात.........
बस इतनी-सी है
*आदमी की औकात!!!!!*

बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा ,
सामने अगरबत्ती जलायेगा ,
खुश्बुदार फूलों की माला होगी ......
अखबार में
अश्रुपूरित श्रद्धांजली होगी.........
बाद में उस तस्वीर पे ,
जाले भी कौन करेगा साफ़...
बस इतनी-सी है
*आदमी की औकात !!!!!!*

जिन्दगी भर ,
मेरा- मेरा- मेरा  किया....
अपने लिए कम ,
अपनों के लिए ज्यादा जीया ...
कोई न देगा साथ...जायेगा खाली हाथ....
क्या तिनका
ले जाने की भी
है हमारी औकात   ???

*ये है हमारी औकात*  फिर घमंड कैसा ?  ✍

अनवरत बहती धारा में .

अति सुंदर पंक्तियां -

समय की .. इस अनवरत बहती धारा में ..
अपने चंद सालों का .. हिसाब क्या रखें .. !!

जिंदगी ने .. दिया है जब इतना .. बेशुमार यहाँ ..
तो फिर .. जो नहीं मिला उसका हिसाब क्या रखें .. !!

दोस्तों ने .. दिया है .. इतना प्यार यहाँ ..
तो दुश्मनी .. की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !!

दिन हैं .. उजालों से .. इतने भरपूर यहाँ ..
तो रात के अँधेरों का .. हिसाब क्या रखे .. !!

खुशी के दो पल .. काफी हैं .. खिलने के लिये ..
तो फिर .. उदासियों का .. हिसाब क्या रखें .. !!

हसीन यादों के मंजर .. इतने हैं जिंदगानी में ..
तो चंद दुख की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !!

मिले हैं फूल यहाँ .. इतने किन्हीं अपनों से ..
फिर काँटों की .. चुभन का हिसाब क्या रखें .. !!

चाँद की चाँदनी .. जब इतनी दिलकश है ..
तो उसमें भी दाग है .. ये हिसाब क्या रखें .. !!

जब खयालों से .. ही पुलक .. भर जाती हो दिल में ..
तो फिर मिलने .. ना मिलने का .. हिसाब क्या रखें .. !!

कुछ तो जरूर .. बहुत अच्छा है .. सभी में यारों ..
फिर जरा सी .. बुराइयों का .. हिसाब क्या रखें .. !!!

रविवार, 8 जनवरी 2017

इंसान

*कमियाँ तो मुझमें भी बहुत है,*
                      *पर मैं बेईमान नहीं।*

*मैं सबको अपना मानता हूँ,*
     *सोचता फायदा या नुकसान नहीं।*

*एक शौक है ख़ामोशी से जीने का,*
           *कोई और मुझमें गुमान नहीं।*

*छोड़ दूँ बुरे वक़्त में दोस्तों का साथ,*
                  *वैसा तो मैं इंसान नहीं।*

शनिवार, 7 जनवरी 2017

कुहरे में डूबी है सुबह

कुहरे में डूबी है सुबह ,
जी भर के जी लें |
आओ मित्र एक कप चाय ,
साथ-साथ पी लें ||

मिल-बैठ सुनें ज़रा आओ ,
मौसम की आहट |
ठण्डे हैं पड़ गए रिश्ते ,
भर दें गरमाहट |
मौका है चलो दें निकाल ,
कटुता की कीलें |
आओ मित्र एक कप चाय ,
साथ-साथ पी लें ||

फिर से इशारों में खेलें ,
प्यार वाला खेल |
जो कुछ भी मन में है दबा ,
सब कुछ दें उड़ेल |
मन से हो मन का संवाद ,
होंठों को सी लें |
आओ मित्र एक कप चाय ,
साथ-साथ पी लें ||

जितने भी हैं शिकवे-गिले ,
बिसरायें सारे |
रात के आँचल में मिलकर ,
टाँक दें सितारे |
गहरा न जाये अन्धकार ,
जला दें कंदीलें |
आओ मित्र एक कप चाय ,
साथ-साथ पी लें |सुप्रभात

रविवार, 1 जनवरी 2017

जीवन पथ

इस साल के अंतिम दिन पर शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की चन्द अनमोल पंक्तियॉ...

जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद

जीवन अस्थिर अनजाने ही, हो जाता पथ पर मेल कहीं,
सीमित पग डग, लम्बी मंज़िल, तय कर लेना कुछ खेल नहीं
दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते, सम्मुख चलता पथ का प्रमाद
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद

साँसों पर अवलम्बित काया, जब चलते-चलते चूर हुई,
दो स्नेह-शब्द मिल गये, मिली नव स्फूर्ति, थकावट दूर हुई
पथ के पहचाने छूट गये, पर साथ-साथ चल रही याद
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद....

नया साल आपके और आपके समस्त परिजनों के लिये मंगलमय हो!!