बारिश पड़े तो भागिए नहीं....... छत नहीं खोजिये........ छाते कभी-कभार बंद रखिये...... किस बात का डर है......? भीग जायेंगे न...........?
तो क्या हुआ...... पिघलेंगे नहीं.. ....फिर से सूख जायेंगे.. ....
तेजाब नहीं बरस रहा है........
आपकी 799 वाली टी-शर्ट भी सूख जायेगी.... ब्रांड भी उसका Levis से Lebis नहीं हो जायेगा..... ...
मोबाइल पालीथिन में कस के रख लीजिये.....
सड़क साफ़ है.. .....कोई नहीं आएगा.......
उस स्ट्रीट लैम्प की पीली रौशनी में डिस्को करती बूंदों को देखिये..........
थोड़ा धीरे चलिए.......
जल्दी पहुंच के भी क्या बदल जाना है......
बारिश बदलाव है....... मौसम का.... मन का..... कल्पनाओं का....... और लाइफ के गियर का...... दिमाग से दिल की तरफ........
सब धुल रहा है........ प्रकृति सब कुछ धो रही है.. ........आप क्यूँ उसी मनहूसियत की चीकट लपेटे घूम रहे हैं.........
याद कीजिये...........
वो कागज़ की नाव, काँलेज/कोचिंग में भीगे सिर आए वो लड़की, लड़के, बारिश में जबरदस्ती नाचने को खींच कर ले गये दोस्त........
सब चलते-चलते याद कीजिये.........
दुहराना आसान नहीं होता........ दुहराना चाहिए भी नहीं........ लेकिन सहेजा तो जा ही सकता है.......... ताकि ऐसी किसी बारिश में चलते-चलते सोच के मुस्कुराया भी जा सके.........
ज़ुकाम से मत डरिये.........दवा से सही हो जायेगा.........
बारिश से डरेंगे तो फिर ज़ुकाम आपका महंगा वाला शावर भी ठीक नहीं कर पायेगा.........
और वैसे भी........ मैंने शावर में सिर्फ लोगों को रोते सुना है......... मुस्कुराते नहीं........क्योंकि उनका गाना भी रोने से कम नहीं होता है..........
बारिश आई है........... थोड़ा चल लीजिये..........थोड़ा भीग लीजिये...........खुद से मिल लीजिये.........थोड़ा मुस्कुरा भी लीजिये.......
क्योंकि बारिश चन्द दिनों के लिये आई है.......
जैसे सावन में बिटिया घर आई हो.........
चली जायेगी वापस............फिर न रोइयेगा कि अब कब आयेगी..........
बारिश हो रही है...........उसके सहारे कुछ पल अपने लिये भी जी लेने की कोशिश कर लीजिये.......
मानसून की हार्दिक बधाई...☔☔