मंगलवार, 12 सितंबर 2017

ऐ उम्र !

*ऐ उम्र !*
*कुछ कहा मैंने,*
*पर शायद तूने सुना नहीँ..!*
*तू छीन सकती है बचपन मेरा,*
*पर बचपना नहीं..!!*

*हर बात का कोई जवाब नही होता...,*
*हर इश्क का नाम खराब नही होता...!*
*यूं तो झूम लेते है नशे में पीनेवाले....,*
*मगर हर नशे का नाम शराब नही होता...!*

*खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है....!*
*हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है....!*
*जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम,*
*असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है....!*

*किसी ने खुदा से दुआ मांगी.!*
*दुआ में अपनी मौत मांगी,*
*खुदा ने कहा, मौत तो तुझे दे दु मगर...!*
*उसे क्या कहु जिसने तेरी जिंदगी मांगी...!*

*हर इंन्सान का दिल बुरा नही होता....!*
*हर एक इन्सान बुरा नही होता.*
*बुझ जाते है दीये कभी तेल की कमी से....!*
*हर बार कुसुर हवा का नही होता.. !!*

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