रविवार, 16 जुलाई 2017

बाह रे टमाटर

बाह रे टमाटर
               दोहा
मारा मारा जो फिरा,  गलियों में बेहाल।
वही टमाटर हो गया, देखो मालामाल ।।
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सड़कों पर फैंका गया ,जैसे कोई अनाथ ।
नहीं टमाटर आ रहा ,आज किसी  के हाॅथ ।।
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भाव टमाटर का हुआ ,अब अस्सी के पार ।
अच्छे अच्छे देखकर,टपका रहे हैं लार ।।
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विना टमाटर के नहीं,अच्छी लगे सलाद  ।
भोजन का बेकार सब ,विना टमाटर स्वाद ।।
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विना टमाटर के लगे ,घर का फ्रिज बेकार ।
जैसे साली के विना ,लगती है ससुरार ।।
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एक टमाटर सूॅघ कर ,दिल भर लेते आज ।
विना टमाटर रो रही ,फुसक फुसक कर प्याज ।।
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जब सड़ते थे टमाटर ,तब ना समझा मोल ।
आज टमाटर हो गया ,साब किचिन से गोल ।।

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आनंदित हों आप सब ,देख टमाटर लाल ।
विना टमाटर खाईये ,अब अरहर की दाल ।।

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