गुरुवार, 27 जुलाई 2017

युवक

युवक ही रणचंडी के ललाट की रेखा है|
युवक स्वदेश की यश-दुन्दुभी का तुमुल निनाद है|
युवक ही स्वदेश की विजय-वैजयंती का सुदृढ़ दंड है|
वह महासागर की उत्ताल तरंगों के समान उद्दंड है|
वह महाभारत के भीष्मपर्व की पहली ललकार से समान विकराल है,
प्रथम मिलन के स्फीत चुम्बन की तरह सरस है,
रावण के अहंकार की तरह निर्भीक है
प्रह्लाद के सत्याग्रह की तरह दृढ़ और अटल है| अगर किसी विशाल ह्रदय की आवश्यकता हो,तो युवकों के ह्रदय टटोलो |
अगर किसी आत्मत्यागी वीर की छह हो तो युवकों से मांगो |
रसिकता उसी के बांटे पड़ी है|
भावुकता पर उसी का सिक्का है|
वह छंद-शास्त्र से अनभिज्ञ होने पर भी प्रतिभाशाली कवि है|
कवि भी उसी के ह्रुदयारविंद का मधुप है |
वह रसों की परिभाषा नहीं जानता,पर वह कविता का सच्चा मर्मज्ञ है |
सृष्टि की एक विषम समस्या है युवक |
ईश्वरीय रचना कौशल का एक उत्कृष्ट नमूना है युवक |
संध्या समय वह नदी के तट पर घंटों बैठा रहता है|
क्षितिज की ओर बढ़ते जाने वाले रक्त-राशि सूर्यदेव को आकृष्ट नेत्रों से देखता जाता है | विचित्र है उसका जीवन|
अद्भुत है उसका साहस|अमोघ है उसका उत्साह|
वह निश्चिन्त है,असावधान है|
लगन लग गयी,तो रात-भर जागना उसके बाएं हाथ का खेल है,जेठ की दुपहरी चैतकी चांदनी है,सावन-भादों की झड़ी मंगलोत्सव की पुष्पवृष्टि है,श्मशान की निस्ताभ्द्ता,उद्यान का विहंग-कल-कूजन है|
वह इच्छा करे तो समाज और जाती को उद्बुद्ध कर दे,देश की लाली रख ले,राष्ट्र का मुखोज्जल कर दे,बड़े-बड़े साम्राज्य उलट डाले|
पतितों के उत्थान और संसार के उद्धारक सूत्र उसी के हाथ में है |
वह इस विशाल विश्वरंगस्थल का सिद्धहस्त खिलाड़ी है|

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