शनिवार, 26 अगस्त 2017

तकदीर फूलों सी

❤  दिल की देहरी से ..❤
.. कुछ स्पन्दन ..

खरे को मैं खरा कहता रहूंगा
मिले जो भी सजा सहता रहूंगा

जमाना चाहे टुकड़े लाख कर दें
मगर मैं जितना था उतना रहूंगा

चला हूं हवा को थामने अब
पता है ख़ाक सा बिखरा रहूंगा

मेरी तकदीर फूलों सी लिखी है
मैं सड़ते  जिस्मों पर सजता रहूंगा

फकत दरिया हूँ इक अदना-सा मैं तो
किनारे तोड़ कर बहता रहूंगा

उजालों की गरज मुझको नहीं है
अंधेरे सायों से लिपटा रहूंगा

©©©©©©©
*CHAMPAWAT*

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